राजस्थान सहित कई प्रदेशों की तर्ज पर प्रदेश में स्वास्थ्य बीमा योजना लागू करने में अभी करीब एक माह का समय लगेगा। क्योंकि अभी तक इसमें शामिल होने वाले बिंदुओं को पहले राज्य में दौरा करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की टीम गठित होगी। इसके बाद ही तय हो पाएगा कि आयुष्मान योजना में किस तरह का बदलाव होगा। इसकी रिपोर्ट तैयार हो जाएगी, क्योंकि आयुष्मान योजना के तहत प्रदेश के मरीजों को नेत्र, डेंटल, मलेरिया के इलाज में सुविधा नहीं मिलती है। इधर बीच बीमा कंपनी रेलीगेयर का अनुबंध 15 सितंबर 2018 से 15 सितंबर 2019 तक था।
योजना का लाभ लोगों को मिले ऐसे में बीमा कंपनी का अनुबंध 15 नवंबर तक बढ़ाया गया है, क्योंकि इस बीच तक सरकार इसमें बदलाव के साथ लागू करेगी। अभी तक प्रदेश में 55 लाख 81 हजार स्मार्ट कार्डधारी आयुष्मान योजना का लाभ ले रहे हैं। जिसे अब मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के नाम से चलाई जाएगी। लेकिन क्लेम की राशि की लेटलतीफी के चलते अब बीमा कंपनी के बजाए ट्रस्ट के मोड में संचालित की जाएगी, ताकि क्लेम की राशि जारी होने में होने वाली देरी को रोका जा सके। अभी हाल में कुछ निजी अस्पतालों में आर्थों, डेंटल, और नेत्र रोग के इलाज में फर्जीवाड़ा कर दिया गया था।
ऐसे में राजस्थान ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों के मॉडल को अभी अपनाने की तैयारी चल रही है। सरकारी अस्पतालों में 772 बीमारियों का इलाज आयुष्मान योजना के तहत किया जाता है। इसमें हार्निया, अपेंडिक्स, ईएनटी, डेंटल सहित कई तरह की बीमारियों को हटाया जाएगा। इसके अलावा यूनिवर्सल हेल्थ कार्ड में थायराइड सहित अन्य प्रकार की गंभीर बीमारियों को शामिल करने की तैयारी है। अधिकारियों के मुताबिक अन्य प्रदेशों की सभी प्रकार की बीमारियों के इलाज आदि का अध्ययन करने के बाद ही कुछ तय होगा। कुल मिलाकर अच्छे और व्यवहारिक बिंदु शामिल किए जाएंगे। राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना और मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 5 लाख और 50 हजार तक की स्वास्थ्य सेवा का लाभ प्रदेश के मरीजों को मिल रहा है। इन दोनों योजनाओं की जिम्मेदारी वर्तमान में संचालित इंश्योरेंस कंपनी रेलीगेयर के पास है।