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स्व-सहायता समूह …

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अंबिकापुर । सरगुजा के स्व-सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं का उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुंच चुका है। ऑनलाइन शॉपिंग से सरगुजा की महिलाओं द्वारा निर्मित कॉटन बैग की जबरदस्त मांग की जा रही है। अमेजन के माध्यम से महिलाओं ने लगभग 200 बैग बिक्री कर लिया है और अभी तक स्वयं द्वारा निर्मित दो हजार से अधिक बैग की बिक्री कर आर्थिक स्वावलंबन की दिशा में आगे बढ़ रही हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से भी लगातार इन्हें मार्गदर्शन मिल रहा है।सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड के ग्राम परसा, साल्ही, बासेन, हरिहरपुर, फतेहपुर, घाटबर्रा, जगन्न्ाथपुर में गठित स्व सहायता समूह की महिलाओं का फेडरेशन सरगुजा महिला उद्यमी बहुद्देशीय सहकारी समिति परसा के नाम से बनाया गया है।

इस फेडरेशन में ढाई सौ से अधिक महिलाएं जुड़ी हुई हैं। वर्तमान में 700 महिलाएं काटन बैग निर्माण, मसाला, सफेद फिनायल, सेनेटरी नैपकिन, आटा निर्माण में लगी हुई हैं।आने वाले समय में जीवन अमृत के नाम से मिनरल वाटर बिक्री का भी प्रस्ताव है। इनमें से 12 महिलाएं काटन बैग निर्माण में लगी हुई हैं। अदानी कंपनी द्वारा ग्राम साल्ही में महिलाओं को छह माह का प्रशिक्षण दिया गया था, इसी प्रशिक्षण के जरिए महिलाएं सिलाई बुनाई में पारंगत हुई है। अदानी कंपनी द्वारा प्रशिक्षण के लिए सिलाई मशीन और प्रशिक्षक की व्यवस्था कराई गई थी।इस प्रशिक्षण से पारंगत हुई ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं अब एक से बढ़कर एक काटन का इको फ्रेंडली बैग बना रही है। जनवरी 2019 से यह काम चल रहा है। ग्राम साल्ही में लघु उद्योग की तर्ज पर सुबह से देर शाम तक 12 महिलाएं बैग बनाने में लगी हुई है। महिलाओं द्वारा आकर्षक रंग डिजाइन के काटन के बैग हाथों हाथ बिक रहे हैं।

यही वजह है कि ऑनलाइन शापिंग अमेजन के जरिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी या उत्पाद पहुंच चुका है।समूह से जुड़ी महिलाओं ने बताया कि जनवरी 2019 के बाद से उन्होंने काटन का दो हजार से अधिक बैग बिक्री किया है। इसमें 200 बैग अमेजन के जरिए बेचे हैं। वर्तमान में भी 21100 बैग निर्माण का आर्डर है। इसमें से 1000 बैग का निर्माण किया जा चुका है। 1100 का निर्माण तेजी से किया जा रहा है ताकि समय सीमा में जिस कंपनी ने आर्डर दिया है, उसे सप्लाई की जा सके। महिलाओं द्वारा बैग निर्माण का काम उदयपुर विकासखंड के ग्राम साल्ही में किया जा रहा है।अभी तक यह थोक बाजार और उनके निर्माण इकाई तक आने वाले लोगों को बैग बिक्री कर रही हैं। अभी कहीं भी उन्होंने दुकान नहीं खोला है, लेकिन मार्केटिंग की जो व्यवस्था ऑनलाइन शापिंग के जरिए उन्हें प्रदान कर दी गई है। उससे अमेजन के साथ महिलाओं को भी सीधा लाभ हो रहा है।

थोक मार्केट में काटन के बैग 262 रुपये से लेकर 270 रुपये तक बेचा जा रहा है। खुले में एक या दो लेने पर इसे 280 और 300 तक बेचा जा रहा है। महिला उद्यमी बहुद्देशीय सहकारी समिति परसा की उपाध्यक्ष व बैग निर्माण इकाई की प्रमुख वेदवती ने बताया कि 12 महिलाओं द्वारा इको फ्रेंडली कपड़े का बैग तैयार किया जा रहा है। इसमें पालीथीन या रेक्जिन का कोई उपयोग नहीं किया जाता। उनकी इकाई पहले से ही प्लास्टिक मुक्ति और स्वच्छता के क्षेत्र में कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि अभी तक दो हजार से अधिक बैग बिक्री किए जा चुके हैं। अमेजन से भी उन्हें आर्डर मिलता है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में महिला उद्यमी बहुत देर से सहकारी समिति द्वारा सिर्फ बैग निर्माण नहीं बल्कि मसाला, फिनाइल, सेनेटरी नैपकिन और आटा तैयार किया जा रहा है।

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