एकादशी. कार्तिक शुक्ल एकादशी (देवउठनी) पर आठ नवंबर शुक्रवार को घर-घर में तुलसी पूजा की जाएगी और लक्ष्मी स्वरूपा तुलसी और भगवान विष्णु स्वरूपा शालिग्राम का ब्याह रचाया जाएगा। ब्याह में मंडप वेदी सजाने के लिए तुलसी पूजा के पूर्व गन्ना पेड़ और पूजन सामग्री का बाजार सज चुका है। तुलसी पूजा करने के लिए शाम 6 बजे गोधुली बेला से लेकर रात्रि 10 बजे तक शुभ मुहूर्त है। राजधानी में आसपास के गांवों से गन्नों की खेप आनी शुरू हो चुकी है। बुधवार को कुछ ही जगहों पर गन्ने बिकते नजर आए लेकिन गुरुवार और शुक्रवार को राजधानी के हर इलाके में गन्नों का बाजार सजेगा। पहले दिन 40 से 60 रुपए तक गन्नों की जोड़ी बेची गई। बाजार में कई जगह पर गेंदा फूल और तुलसी पूजा में इस्तेमाल होने वाले विविध तरह के फल जैसे सीताफल, आंवला, शकरकंद, बेर, सिंघाड़ा, भाजी एवं रोली, चंदन, कुमकुम, नारियल समेत अन्य पूजन सामग्री से बाजार सज चुका है।
शास्त्री बाजार, गोलबाजार, आमापारा, पुरानी बस्ती, गुढ़ियारी, फाफाडीह आदि इलाकों में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। जीई रोड राजकुमार कॉलेज के पास स्थित नर्सरी में अनेक श्रद्धालु तुलसी पौधा खरीदते नजर आए। घर-घर में तुलसी विवाह होने के मद्देनजर तुलसी का पौधा 100 से 150 रुपए तक बेचा गया। मान्यता है कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी के दिन भगवान विष्णु का विश्राम काल शुरू हो जाता है जो चार माह तक अर्थात् कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है। इस दिन भगवान को जगाने की परंपरा निभाई जाती है। हिन्दू धर्म में चौमासे के चार माह के अंतराल में शादी-विवाह करने की मनाही है और तुलसी पूजा के दिन से ही विवाह मुहूर्त की शुरुआत मानी जाती है।