रायपुर। दुर्ग का रहने वाला 19 साल का प्रहलाद बीते दो-ढाई साल से लगातार बीड़ी पी रहा था। लत ऐसी कि एक दिन में 18-20 बीड़ी पी जाता था। 11 अक्टूबर की सुबह रोजी-मजदूरी पर गया और अचानक सीने में तेज दर्द उठा। आनन-फानन में उसे दुर्ग जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया। डॉक्टर ने जैसे-तैसे रात तो काट दी और सुबह-सुबह एडवांस कॉर्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआइ) रेफर कर दिया। यहां कॉर्डियक ओपीडी में कॉर्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने जांच की। तत्काल एंजियोग्राफी की। दवा दी और नस खुल गई। समय पर इलाज मिला और जान बच गई। अगर दवा से नस नहीं खुल पाती तो एंजियोप्लास्टी करनी ही पड़ती। जानकारी के मुताबिक प्रहलाद का मामला मध्य भारत में दूसरा सबसे कम उम्र में हार्ट अटैक का केस है। इसके पहले रायपुर के आंबेडकर अस्पताल में ही बागबाहरा के कमलेश यादव (18) साल की बिना एंजियोप्लास्टी जान बचाई गई थी। देश की हिस्ट्री उपलब्ध नहीं है। वह छुप-छुप कर बीड़ी पीता था। एक-दो बार पकड़ा, समझाया लेकिन वह नहीं माना। कहता था जब तक बीड़ी नहीं पीता, तब तक प्रेशर नहीं बनता, मगर अब लत छूट गई है।
हार्ट अटैक के लक्षण– डॉक्टरों की मानें तो हार्ट अटैक का सबसे बड़ा लक्षण है सीने में तेज दर्द। जब दिल तक खून की आपूर्ति नहीं हो पाती तो दिल काम करना बंद करने लगता है। इसे कहते हैं दिल का दौरा पड़ना या हार्ट अटैक। कभी-कभी दिल के दौरे में दर्द नहीं होता। इसे साइलेंट हार्ट अटैक कहा जाता है। पुरुष- 22 से 25 साल की उम्र में हार्ट-अटैक के केस आ रहे हैं, जबकि अब आयु-सीमा घटकर 18 हो गई। महिला- 35 साल के बाद हार्ट अटैक का खतरा, लेकिन जून 2017 में आंबेडकर अस्पताल में ही भिलाई के 27 वर्षीय महिला की एंजियोप्लास्टी की गई थी।
युवाओं में स्मोकिंग की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। न सिर्फ निम्न तबका, बल्कि उच्च वर्ग के युवा तो इसे स्टेटस सिंबाल मानते हैं। स्मोकिंग के अलावा हुक्का का चलन भी युवाओं को मौत के मुंह में धकेल रहा है। कई बार बुरी संगति भी कारण होती है। टेलीविजन, फिल्म में कलाकारों को देखकर भी युवा स्मोकिंग करना सीखते हैं। इसलिए समझदार बनें। अगर कोई महिला स्मोकिंग करती है, गर्भ निरोधक गोलियों का लंबे समय से इस्तेमाल कर रही है तो प्राकृतिक रूप से उसके शरीर की हार्ट अटैक से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। डॉक्टर्स मानते हैं कि युवाओं में दिल की नसों को तो दवाओं से खोला जा सकता है, मगर बुजुर्गों में दवा बहुत कम कारगर होती है। क्योंकि ब्लड का थक्का जम जाता है। इसे एंजियोप्लास्टी के जरिए ही दूर किया जा सकता है, या बायपास से। बुजुर्ग बीड़ी, सिगरेट पीते हैं। गुड़ाखू करते हैं। यही दिल के दुश्मन हैं।
सावधानी बरतें– कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. श्रीवास्तव के मुताबिक हमें अपनी जीवन शैली में बदलाव करना होगा। सुबह जल्दी उठें। व्यायाम करें, योग करें, तनाव से दूर रहें। डॉ. श्रीवास्तव कहते हैं कि छत्तीसगढ़ में बीड़ी, सिगरेट, गुड़ाखू, तंबाकू का इस्तेमाल बीते कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है। खासकर युवाओं में। ये आदी हो गए हैं। मरीज से पूछने पर वे यही हिस्ट्री बताते हैं।