राजधानी रायपुर के शंकर नगर स्थित बीटीआई मैदान पर आयोजित 46वीं जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय विज्ञान, गणित एवं पर्यावरण प्रदर्शनी के पांचवें दिन दिल्ली की बाल वैज्ञानिक माला बिस्ट ने खेती करने का अनोखा मॉडल दिखाया। मॉडल की खासियत यह है कि खेत में लगी फसल बिजली पैदा करेगी। साथ ही बिजली की क्षमता भी 1.46 मेगावाट होगी। बाल वैज्ञानिक माला ने बताया कि यह प्रयोग अभी नीदरलैंड में किया जा रहा है, हमारे देश में इस तरह का प्रयोग किया जाए तो बिजली की समस्या पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। माला ने बताया कि खेत में जो भी फसल उगाई जाती है, उसमें जिंक और कॉपर होने के कारण निचले स्तर पर इलेक्ट्रॉड बनते हैं। खेत के चारो ओर अंडरग्राउंड बिजली के तार लगा दिए जाएं और कोयला- ग्रेफाइड को गोंद में लगाकर इलेक्ट्रान की तरह उपयोग किया जाए तो बिजली पैदा होने लगती है। इसका कारण होता है कि इलेक्ट्रोड और इलेक्ट्रान आपस में क्रिया करने लगते हैं और इससे 1.46 मेगावाट/ किलोमीटर स्कॉयर तक पैदा की जा सकती है।
मेघालय की छात्रा दामिनी पावरा ने ऐसा धागा तैयार किया है जो ओस से पानी तैयार करेगा। दामिनी ने बताया कि पहाड़ी इलाकों में पानी की काफी समस्या होती है। नीचे से पहाड़ी तक पानी लाने में बहुत परेशानी होती है। इसका सबसे अच्छा उपाय है कि एक पाइप में चारो ओर धागा लगा दिया जाए। जैसे ही कोहरा आएगा और ओस चालू होगी धागे से टकराकर वह पानी बनने लगेगी। उसे किसी भी टब्बे में सहेजा जा सकता है। यह पानी काफी शुद्घ होता है। उक्त पानी को दो सौ से पांच सौ रुपए लीटर बेच कर व्यापार भी किया जाता है।