रायपुर/राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव शहर में शरद पूर्णिमा पर पांच राज्यों के लोग आधी रात जुटे। यहां दमा और अस्थमा को दूर भगाने वाली अमृत खीर का वितरण हर साल शरद पूर्णिमा की रात में किया जाता है। छत्तीसगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश, ओड़िशा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र के हजारों लोग अमृत चखने हर साल यहां पहुंचते हैं।
बर्फानी सेवा श्रम समिति के सचिव गणेश प्रसाद शर्मा बताते हैं कि बीते 22 वर्षों से यहां शरद पूर्णिमा के दिन आधी रात को लंबी कतार लगने का क्रम जारी है। साल दर साल यहां बीमारी दूर करने वाली खीर का स्वाद चखने वालों की संख्या बढ़ रही है। इस साल भी रविवार-सोमवार की रात करीब 35 हजार लोगों ने औषधीय गुणों वाली खीर प्रसाद के रूप में ग्रहण की। रात दो बजे से सुबह तक लंबी कतार लगी रही।
उन्होंने बताया कि वर्ष 1997 में अमरकंटक के बर्फानी दादा के सान्निध्य में उनके शिष्य स्वर्गीय कांशीप्रसाद पांडेय के संयोजन में शुरूआत हुई थी। तब शरद पूर्णिमा की रात पांच सौ लोगों की भीड़ जुटी थी। पांच सौ से पैंतीस हजार तक का सफर इस बात का प्रमाण है कि औषधीय गुणों वाली यह अमृत खीर का प्रसाद कितना कारगर है। ज्यादातर पांच राज्य के लोग तो हर साल आते हैं, इस साल राजस्थान, पश्चिम बंगाल और उत्तरप्रदेश के लोग भी यहां अमृत चखने पहुंचे थे।
डेढ़ लाख रुपये खर्च कर तैयार किया खीर
बर्फानी सेवा श्रम समिति के सचिव शर्मा ने बताया कि भारी भीड़ के लिए खीर का प्रसाद तैयार कराना बड़ी चुनौतीपूर्ण होती है। श्रमदान और जनसहभागिता से इस साल करीब डेढ़ लाख रुपये खर्च कर 35 हजार लोगों के लिए खीर का प्रसाद तैयार कराया गया था। श्वांस, दमा और अस्थमा के लिए यह अमृत खीर रामबाण दवा मानी जाती है। इस वजह से लोग शरद पूर्णिमा की रात का सालभर इंतजार करते हैं।
मीठी खीर में कड़वा दवा मिलाने से बच्चे-बड़े सभी आसानी से ग्रहण कर लेते हैं। यहां प्रसाद ग्रहण करने आने वालों को पखवाड़ेभर तक खटाई, मुनगा और बैंगन की सब्जी नहीं खाने का परहेज करना होता है। साथ ही प्रसाद ग्रहण करने के पहले और बाद में कम से कम चार-चार घंटे तक नींद लेने की मनाही होती है। इस तरह शरद पूर्णिमा की रात को प्रसाद वितरण के लिए चुना गया है। रात में यहां पहुंचने वालों के मनोरंजन के लिए नाच-गाने का प्रबंध भी किया जाता है। जिससे मनोरंजन के साथ ही उपचार भी सुलभ हो पाता है।