हैदराबाद। 40 दिन की लगातार सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। इसके बाद दोनों पक्षों से लगातार प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। इस बीच, मुगल वंशज प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तूसी ने उम्मीद जताई कि इस मामले में सर्वोच्च अदालत 100 करोड़ हिंदुओं की भावनाओं का ख्याल रखेगा।
‘हमें उम्मीद है कि विवादित स्थल पर मंदिर का निर्माण किया जाएगा। हम अपने उस वादे पर कायम हैं कि ऐसा हुआ तो भव्य मंदिर के लिए हमारी तरफ से सोने की ईंट भेंट की जाएगी। साथ ही हम लोगों से गुजारिश करना चाहते हैं कि वे मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और MIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की बातों में न आएं, क्योंकि जिस संपत्ति की बात हो रही है, वो बाबर की है।’
इससे पहले प्रिंस याकूब ने दावा किया था कि मिस्त्र की अल-अजहर यूनिवर्सिटी से उनके नाम फतवा जारी हुआ है, जिसमें लिखा गया है कि अयोध्या में विवादित जमीन पर मस्जिद का निर्माण नहीं किया जा सकता। प्रिंस याकूब के मुताबिक, उन्होंने पहले अल-अजहर यूनिवर्सिटी को चिट्ठी लिखकर बताया था कि कैसे अयोध्या में विवादित ढांचे को ढहाया गया और अब वहां हिंदू पूजा करते हैं।
इस बीच, मुस्लिम विद्वानों और नेताओं का कहना है कि अयोध्या केस में सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होगा, उसे दोनों पक्षों को मान्य करना चाहिए। ऑल इंडिया उलेमा काउंसिल के महासचिव मौलाना महबूब दरयादी के अनुसार, ‘हम खुश हैं कि सुनवाई पूरी हो चुकी है। हम चाहते हैं कि अदालत प्रमाणों के आधार पर अपना फैसला करे, न कि धार्मिक भावनाओं के आधार पर। हम मुस्लिम समुदाय से अपील करना चाहते हैं कि जब फैसला न आए तो वे शांति बनाए रखें।