अंबिकापुर । सरगुजा जिले में कई साल बाद घटिया धान बीज सप्लाई की एक भी शिकायत सामने नहीं आई ।जनप्रतिनिधियों के दवाब और बीज प्रक्रिया केंद्र में बरती गई सख्ती का असर यह हुआ कि खेतों में धान की फसल लहलहा रही है,बंपर उत्पादन की संभावना से किसान उत्साहित नजर आ रहे हैं। खेतों में धान की बालियां आ चुकी हैं और कम अवधि में पकने वाली धान अब तैयार होने लगी है। सरगुजा अंचल में पिछले कई वर्षों से सरकारी धान बीज बीज की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठते थे। प्रशासनिक स्तर पर किसानों को जो धान बीज वितरित किया जाता था उसकी गुणवत्ता इतनी खराब रहती थी कि किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर जाता था। अनुकूल मौसम के बावजूद धान के पौधे सही तरीके से तैयार नहीं होते थे और उनमें बालियां भी नहीं आती थी।यदि बाली आई भी तो अच्छे से धान तैयार नहीं होता था। फसल की कटाई के बाद किसान जब खलिहान में मिसाई करते थे तब उन्हें नजर आता था कि धान की गुणवत्ता एकदम खराब है ।कई बार तो समितियों में भी ऐसे धान को खरीदने से साफ इनकार कर दिया जाता था। परेशान किसान, जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से शिकायत करते थे लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं होती थी।
अनुकूल मौसम के कारण फसल बीमा का लाभ भी उन्हें नहीं मिलता था ।घटिया बीज से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए कोई प्रबंध ही नहीं किया जाता था जिससे किसान हर वर्ष धोखा खाते थे। कई वर्षों बाद यह पहला अवसर है जब किसानों की ओर से धान बीज की गुणवत्ता को लेकर ना तो जनप्रतिनिधियों और ना ही अधिकारियों के पास कोई शिकायत की गई है। इस परिस्थिति के लिए कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव का अहम योगदान रहा। उन्होंने समितियों से धान भी सप्लाई से पहले ही निर्देश जारी कर दिया था कि भले ही धान बीज की मात्रा कम हो लेकिन उसकी गुणवत्ता में कमी नहीं रहनी चाहिए। यदि किसानों को नुकसान उठाना पड़ा तो अधिकारियों कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही होगी। मंत्री टी एस सिंहदेव के निर्देश और मैदानी स्तर पर जागरूक जनप्रतिनिधियों की कोशिश से प्रशासनिक तंत्र सचेत हुआ और सिर्फ गुणवत्ता युक्त धान के बीज किसानों को वितरित किए गए। आज सरगुजा जिले के सभी क्षेत्रों में धान के खेत लहलहा रहे हैं। उसमें बालियां आने लगी है। दूध भी भरने लगा है ।किसानों ने इस बार धान के बंपर पैदावार की संभावना जताई है।
जालसाजी के चक्कर मे नुकसान होता था किसानों का
पूर्व के वर्षों में जालसाजी के चक्कर में किसानों के साथ धोखा होता था ।बीज प्रक्रिया केंद्र द्वारा ऊंचे दर पर धान की खरीदी बीज के लिए की जाती थी ।पूर्व के अधिकारियों से सांठगांठ कर सैकड़ों किसान घटिया धान को भी उन्नत बताकर बीज प्रक्रिया केंद्र में ऊंचे दर पर बेच दिया करते थे।इतना ही नहीं एक ही धान के बोरे में मिक्स धान हुआ करता था। इसकी सही तरीके से ग्रेडिंग भी नहीं कराई जाती थी। बीज प्रक्रिया केंद्र से इसे ही किसानों को वितरित करने के लिए उपलब्ध करा दिया जाता था। केंद्र के अधिकारी और जालसाजी करने वाले किसानों द्वारा कमाई का हिस्सा आपस में बांट लिया जाता था जिससे हर साल घटिया धान बीज की शिकायत सामने आती थी।
200 किसानों को डाला गया था काली सूची में
बीज प्रक्रिया केंद्र के वर्तमान अधिकारियों ने गुणवत्ता विहीन धान लाकर केंद्र में खपाने वाले किसानों को चिन्हित किया था। ऐसे लगभग 200 किसानों को काली सूची में डाल दिया गया था। ताकि वे मिक्स और घटिया धान को बतौर बीज, केंद्र में ना खपा सके।इसके अलावा बीज प्रक्रिया केंद्र ने पहली बार कृषि विभाग, कृषि अनुसंधान केंद्र के माध्यम से प्रदर्शन खेती में उत्पादित धान को ही बीज के रूप में किसानों को उपलब्ध कराया था ।जिम्मेदार अधिकारी स्वयं खड़े होकर धान की ग्रेडिंग करा रहे थे ताकि किसानों को कोई नुकसान न उठाना पड़े। इस सख्ती के कारण पहली बार किसानों के साथ धोखा नहीं हुआ और बंपर उत्पादन की आस को लेकर उत्साहित नजर आ रहे हैं।
मात्रा पर नही गुणवत्ता पर जोर
पहली बार सरकारी तौर पर किसानों को धान बीज उपलब्ध कराने के लिए क्वांटिटी पर नहीं बल्कि क्वालिटी पर ध्यान दिया गया था। जनप्रतिनिधियों के दबाव के कारण अधिकारियों ने तय किया था कि भले ही कम मात्रा में किसानों को धान बीज वितरित किया जाए लेकिन उसकी गुणवत्ता बेहतर होनी चाहिए।इस सोच का भी सकारात्मक परिणाम निकल कर सामने आया ।जिन किसानों ने सरकारी धान बीज का उपयोग किया उनके खेत भी महंगे हाइब्रिड धान बीज वाले खेतों के समान ही लहलहा रहे हैं। उत्पादन को लेकर भी किसी प्रकार की कोई चिंता किसानों में नहीं देखी जा रही है।
किसान समर्थन मूल्य पर धान बेचने को लेकर भी प्रसन्न हैं। इस बार भी 2500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की जाएगी। पंजीयन का कार्य चल रहा है। सैकड़ों किसान धान के बंपर उत्पादन को देखते हुए रकबा बढ़ाने के लिए भी आवेदन दे रहे हैं।