रायगढ़। जिले में आज रियासतकालीन परंपरा को दैवीय आस्था के नाम पर बरकरार रखा है, जिसमें भक्ति की अलौकिक मिसाल तरह तरह से देवालयों से जुड़ी हुई है। कुछ ऐसी ही आस्था रायगढ़ जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर तमनार ब्लाक के ग्राम कर्मागढ़ में देखने को मिलती है, जहां कर्मागढ़ मंदिर में नवरात्र के आरंभ होते ही आस्था का ज्योत प्रज्ज्वलित होती है, जो शरद पूर्णिमा के दूसरे दिन समाप्त होती है। इस दौरान यहां बलि की भी परंररा है।
कर्मागढ के राजघराने की कुलदेवी मां मानकेश्वरी देवी की पूजा हर वर्ष शरद पूर्णिमा के दिन की जाती है इस वर्ष भी यहां विधि विधान से पूजा-अर्चना के बाद बलि पूजा की गई, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने यहां पहुंचकर माता के चरणों में मत्था टेका और आशीर्वाद लिया। शरद पूर्णिमा के दिन दोपहर में बलि पूजा कार्यक्रम शुरू किया गया।
यहां ऐसी स्थानीय मान्यता है कि पूजा के दौरान बैगा बीरबल सिदार के शरीर में भीतर जब माता का प्रभाव होता है तो भक्तों के बकरों की बलि भोग के स्वरूप उपहार में दी जाती है। दोपहर से शुरू हुई पूजा देर शाम तक चली, इसके बाद भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया है। ऐसी मान्यता है कि मंदिर में रायगढ़ राजपरिवार की कुलदेवी मां मानकेश्वरी देवी आज भी अपने चैतन्य रुप में विराजमान है, जहां माता समय-समय पर अपने भक्तों को अपनी शक्ति अवगत कराती है।