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फेंक काॅल से बचें—

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मैं विधायक रमेश मेंदोला बोल रहा हूं… मैं जिनका नाम बता रहा हूं, उनका काम हो जाना चाहिए। मैं धार एसपी आदित्य प्रतापसिंह बोल रहा हूं- शस्त्र लाइसेंस का काम है, उसे फोन पर ही कर दीजिए। विधायक और एसपी के नंबर से फोन कर सरकारी महकमे में काम निकलवाने वाले 22 साल के शातिर इंजीनियरिंग छात्र को सागौर पुलिस ने पकड़ा है। आरोपित मोबाइल ऐप के जरिए कॉल करता था, जिससे विधायक, एसपी सहित अन्य बड़े अधिकारियों के नंबर संबधित व्यक्ति के मोबाइल पर नजर आते थे। छात्र कई दिनों से इसी तरह से विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों से काम कराता था।

आरोपित का नाम राजपाल सिंह है। उसने सागौर थाना प्रभारी प्रतीक शर्मा के निजी नंबर पर 30 सितंबर को धार एसपी के सरकारी नंबर से कॉल किया था। कॉलर ने कहा कि मैं एसपी बोल रहा हूं। सागौर के राजपाल का काम फोन पर ही हो जाना चाहिए। एसपी की आवाज को लेकर थाना प्रभारी को संदेह हुआ। इसके बाद एक अक्टूबर को खुद राजपाल ने अपने नंबर से काम के लिए संपर्क किया। उसने कहा कि चाचा दिलीपसिंह पंवार की शस्त्र खरीदी से संबंधित फाइल आपके यहां है, उसे दिखवा लेना।

संदेह होने पर टीआई ने आवेदन लंबित रखा। दूसरी बार राजपाल ने एसपी बनकर फोन किया तो थाना प्रभारी ने आवाज रिकॉर्ड कर ली। इसके बाद जिस नंबर से कॉल किया गया था, उसे ट्रेस किया तो वह राजपाल का निकला। टीआई ने एसपी से बात की तो उन्होंने किसी प्रकार के कॉल करने से इनकार कर दिया। फर्जी कॉल की पुष्टि होते ही पीथमपुर सेक्टर वन के प्रभारी चंद्रभान सिंह व टीम ने आरोपित को उसके गांव से हिरासत में ले लिया। राजपाल ने पुलिस को बताया कि मोबाइल में फेक कॉल ऐप इंस्टॉल कर विधायक-अधिकारी बनकर कॉल करता था।

मेंदोला प्रभावशाली : आरोपित ने बताया कि विधायक रमेश मेंदोला का नाम इसलिए चुना, क्योंकि वे क्षेत्र के विधायक नहीं थे। बाहरी और प्रभावशाली थे। साथ ही स्थानीय स्तर पर कोई उनकी आवाज को जल्दी नहीं पहचान पाता।

ये है फेहरिस्त

-विधायक मेंदोला बनकर पीथमपुर सीएमओ व एमपीईबी के इंजीनियर को कॉल किया।

– पीडब्ल्यूडी इंजीनियर बनकर ग्राम उज्जैनी स्थित वैकमेट कंपनी के सिविल इंजीनियर को काम करने के लिए फोन किया।

-दिग्ठान के युवा मोर्चा मंडल का अध्यक्ष बनकर उनके मोबाइल नंबर को दुरुपयोग किया। आरआई को फोन लगाया।

एक साल से कर रहा था फर्जी फोन

आरोपित राजनीतिक स्तर पर भी अपनी पहचान बनाने का इच्छुक था। एक साल पहले उसके पिता की कोई फाइल अटक गई थी, तब इस ऐप का उपयोग कर काम निकलवा लिया। इसके बाद से ही इसका दुरुपयोग शुरू कर दिया। खुद के साथ दूसरों के काम निकलवाने के लिए उसने एप के जरिए विधायक, एसपी और अधिकारी बनकर कॉल करना शुरू किया था।

विधायक बनकर की चैटिंग

आरोपित विधायक बनकर अधिकारियों से चैटिंग भी करता था। धार के पूर्व एसपी वीरेंद्र सिंह से भी आरोपित ने विधायक रमेश मेंदोला बनकर चैटिंग की थी। नंबर विधायक का होने से अधिकारियों को संदेह नहीं होता था।

कड़ाई से रोक लगे फर्जी कार्य करने वालों पर सख्ती से रोक लगे। सरकार को ऐसे ऐप को भी बैन करना चाहिए। लोगों को भी सावधानी रखनी चाहिए कि कोई फोन कर रहा है और थोड़ा सा भी संदेह हो रहा है तो एक बार कन्फर्म जरूर करना चाहिए।

लोग मोबाइल नंबर को लेकर सत्यापित करें। आजकल साइबर अपराध बढ़ रहे हैं। इससे बचने का तरीका है आप अलर्ट और जागरूक रहें।

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