रायपुर। छत्तीसगढ़ में बाघों का कुनबा बढ़ाने के लिए वन विभाग ने पन्ना अभयारण्य की तर्ज पर काम करना शुरू कर दिया है। वन विभाग ने बाघों के वास स्थल को और विकसित करने के लिए अचानकमार टाइगर रिजर्व क्षेत्र से गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया के लिए शासन को पत्र लिखा है।
अचानकमार से कुल 19 गांवों के लोगों को विस्थापित किया जाना है। विस्थापित होने वाले परिवारों को नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के तय मानक के अनुसार राशि या फिर खेतीबाड़ी करने के लिए जमीन और मकान उपलब्ध कराए जाएंगे।
उल्लेखनीय कि वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने देश में बाघों की गणना के बाद संख्या जारी की थी, जिसमें छत्तीसगढ़ की स्थिति चिंतनीय मिली। यहां बाघों की संख्या 46 से घटकर 19 पहुंच गई है। पिछले बाघों की संख्या बढ़ाने में मदद करने के लिए मध्यप्रदेश के एपीसीसीएफ दो दिवसीय छत्तीसगढ़ दौरे पर आए थे।
उन्होंने दो दिन तक छत्तीसगढ़ के जंगलों में जाकर बारीकी से अध्ययन कर अचानकमार के 626 किलोमीटर के अंतर्गत कोर इलाके के अंतर्गत आने वाले गांवों को पुनर्वासन करने की बात कही थी। उसके बाद वन विभाग ने गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
मध्यप्रदेश से लाए जाएंगे बाघ
वन विभाग बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए मध्यप्रदेश से बाघों को लाने की तैयारी कर रहा है। मध्यप्रदेश से बाघों को लाकर जंगल में ब्रीडिंग (इन सीटू ब्रीडिंग) कराई जाएगी, जिससे प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ सके। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए तेजी से काम शुरू हो गया है। पन्ना अभयारण्य, बांधवगढ़ या कान्हा से बाघ लाने की योजना विभाग बना रहा है। अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए केंद्र सरकार से अनुमति ली जाएगी।
तीन चरण में वन विभाग करेगा विस्थापित
वन विभाग द्वारा तीन चरण में कुल 19 गांव विस्थापित किए जाने हैं, जिनमें कुल 3,634 परिवार आ रहे हैं। वन विभाग सबसे पहले ग्राम तिलईडबरा, बिरारपानी, एवं छिरहट्टा के 133 परिवारों को विस्थापित करेगा। उसके बाद सात गांवों के 1283 और तीसरे चरण में कुल 09 गांव के 2218 परिवार को विस्थापित किया जाएगा। ज्ञात हो कि इससे पहले वन विभाग द्वारा 2009-10 में छह गांव के 249 परिवार को विस्थापित कर चुका है।
प्रत्येक परिवार को दिया जाएगा मुआवजा
वन ग्रामों का व्यवस्थापन राष्ट्री व्याघ्र संरक्षण, प्राधिकरण नई दिल्ली द्वारा जारी गाइड लाइन के अनुसार पात्र परिवार को जिला कलेक्टर के माध्यम से 10 लाख रुपये नकद दिया जाना है। यदि परिवार पैसा नहीं चाहता है तो दूसरे विकल्प के रूप में प्रत्येक परिवार को एक मकान, 02 हेक्टेयर कृषि भूमि, 50 हजार इंसेटिंव की राशि। वन विभाग द्वारा दिए जाने वाले मकान में आधार भूत सुविधाएं जैसे पहुंच मार्ग, शाला भवन, सिंचाई साधन, शौचालय, पेयजल व्यवस्था और सामुदायिक भवन आदि तैयार कर विस्थापन किया जाना है।
इन गांवों का होगा विस्थापन
तिलईडबरा, बिरारपानी, छिरहट्टा, अचानकमार, सारसडोल, बिंदावल, छपरवा, लमनी, अतरिया, रंजकी, सुरही, अतरिया, बम्हनी, कटामी, जाकड़बांधा, निवासखार, महामाई, डंगनिया, राजक शामिल हैं।
वैज्ञानिक पद्धति से हुई थी गणना
प्रदेश में पिछले महीनों देहरादून की संस्था ने प्रदेश में बाघों की गणना की थी, जिसमें अचानकमार्ग टाइगर रिजर्व क्षेत्र, उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व और इंद्रावती टाइगर रिजर्व इसके साथ ही गुरु घासीदास, भोरमदेव आदि में वैज्ञानिक पद्धति से तो कुछ जगहों में बाघों के मल को देखकर गणना की गई। गणना के मुताबिक बाघों की संख्या घट गई है, लेकिन एनटीसीए द्वारा जारी आंकड़े ने विभाग की आंखें खोल दी हैं।
बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए अचानकमार टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आने वाले 19 गांवों का विस्थापन कराया जाएगा। इसमें सबसे पहले तीन गांव के लोगों का विस्थापन होगा। इसके लिए शासन को पत्र लिखकर सैद्धांतिक अनुमति मांगी गई है। अनुमति मिलने पर विस्थापन प्रक्रिया शुरू की जाएगी।