Home अपराध उन्नाव रेप पीड़िता तथा वकील की मेडिकल रिपोर्ट……

उन्नाव रेप पीड़िता तथा वकील की मेडिकल रिपोर्ट……

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गुजरे तीन दिनों में लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज में स्थित पीड़िता व वकील की हालत में किसी तरह से कोई गिरावट नहीं आई है तीन दिनों मेें दोनों की स्थिति स्थिर बनी हुई है। साथ ही तीन दिनों बाद भी दोनों मरीज़ों में किसी को होश नहीं आया है। बुधवार को उन्नाव रेप पीड़िता और उनके वकील, दोनों की स्थिति में मामूली सुधार भी देखा गया। पर अभी भी ये नहीं कहा जा सकता कि उनकी स्थिति में सुधार हो रहा है। इसकी वजह बताते हुए सर्जरी के प्रमुख डॉ. संदीप तिवारी बताते हैं, कोई भी सुधार 24 घंटे से 48 घंटे तक कायम रहता है, तभी उसे चिकित्सीय टर्म में सुधार माना जाता है। हमलोग लगातार कोशिश कर रहे हैं। अभी की स्थिति में दोनों की हालत को गंभीर ही माना जाएगा। मंगलवार को भी थोड़े समय के लिए उन्नाव रेप पीड़िता के वकील को थोड़ी देर के लिए वेंटिलेटर से हटाया गया था, लेकिन फिर उन्हें तुरंत वेंटिलेटर पर लाना पड़ा। उन्नाव रेप पीड़िता तथा वकील, दोनों के लिए अगले 24 से 48 घंटे बेहद महत्वपूर्ण हैं। रेप पीड़िता और उनके वकील दोनों जिस हालत में किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज लाए गए थे और वहां से अब तक उनकी स्थिति का स्थिर होने को भी चमत्कार की तरह देखा जा रहा है। इन दोनों का शुरुआती इलाज करने वाले डॉक्टरों में शामिल एक डाॅक्टर के अनुसार, ‘‘डिज़ायर कार की 12 चक्के वाले ट्रक से सीधी टक्कर से आप दुर्घटना का अंदाज़ा लगा सकते हैं। ‘‘एक की मौत वहीं हो चुकी थी। ‘‘ऐसे भीषण हादसों में जैसी स्थिति रहती है, वही स्थिति थी। भारी गंभीर चोटें थीं, उसको पॉली ट्रॉमा कहते हैं। कई हड्डियां टूटी हुई थीं, सिर में भी बाहर से चोट थी। दोनों बेहोश थे। दोनों को प्रॉपर सपोर्ट सिस्टम दिया गया।
ट्रॉमा सेंटर ने भी इन दोनों मरीज़ों को अपने आईसीयू में स्थानांतरित किया। तबसे डॉक्टरों की एक टीम लगातार इन दोनों की स्थिति पर नज़र बनाए हुए है। संदीप तिवारी कहते हैं, ‘‘ऐसी स्थिति में कई बार मरीज़ों को दो.तीन दिन बाद भी होश आ जाता है। कई बार कई सप्ताह भी लगते हैं। आगे क्या होगा, इसका अंदाज़ा लगाना बेहद मुश्किल है। 28 जुलाई के शाम में ट्रक और कार की भीषण टक्कर के बाद से अब तक उन्नाव रेप पीड़िता और उनके वकील ने बेहोशी में जिस तरह का संघर्ष दिखाया है, उसके बारे में डॉक्टरों का क्या मानना है। इस बारे में इलाज में शामिल एक डॉक्टर ने बताया, ‘‘ऐसे हादसों में बॉडी की फिजियोलॉजी अहम भूमिका निभाती है। जिसको आम भाषा में कहते हैं कि ये आदमी झेल जाएगा, मज़बूत दिल वाला आदमी है। उनकी फिजियोलॉजी ने इनका साथ दिया है। इसलिए इनके शरीर ने संघर्ष दिखाया है। बच्चे या फिर अधिक उम्र के लोगों का ऐसे हादसों में बचना मुश्किल होता है। वैसे डॉक्टरों की पूरी कोशिश है दोनों को होश में लाने की। डॉक्टर बताते हैं ‘‘ट्रॉमा सेंटर में जो मरीज़ लाए जाते हैं, उनमें तो सभी तरह का टेस्ट कर पाना संभव नहीं होता है, एकदम ज़रूरी टेस्ट ही होते हैं। इसलिए शरीर को कितनी चोट पहुंची है और उसका क्या असर हो सकता है, इसका पूरा तरह आकलन लगाना संभव नहीं है।
वैसे किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने पहले दिन से ही मरीज के परिवार वालों को इस बात का विकल्प दे रखा है कि वे चाहें तो मरीजों को एयर एंबुलेंस से दिल्ली या मुंबई ले जाना चाहें तो ले जा सकते हैं।

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