वशिष्ठ टाइम्स।
शासकीय कर्मचारी आज कल पत्रकार बन कर घुम रहे हैं। और पत्रकारिता के आढ़ में अपने अवैध कार्य को अनजाम रहें है।
भारत सरकार के नियम के अनुसार शासकीय कर्मचारी पत्रकारिता नहीं कर सकता परन्तु देखने में ये भी मिलता है कि शासकीय कर्मचारी पोर्टल का भय बनाकर सीमेन्ट, गिट्टी, रेता पंचायतों में सप्लाई कर रहा है। शासकीय कर्मचारी अपने पत्नी व बच्चे के नाम पर आईडी बनवाकर पत्रकारिता कर रहें है। भारत सरकार ऐसे व्यक्तियों के उपर कड़ी जांच कर सक्त से सक्त कार्यवाही करे। प्राप्त जानकारी के अनुसार एक तहसील ऐसी भी है जिसमें एक व्यक्ति पूर्व में शासकीय कर्मचारी था, अपनी नौकरी छोड़ कर एक विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने चल गया। 5 वर्ष बाद वह व्यक्ति जब वापस आया तो उसी जगह पर नौकरी पा लिया उसी के पत्रकारिता के धोस में एक ग्राम पंचायत में उसी के परिवार का स्वास्थय विभाग में सर्विस करते रहा। उसके उपरांत स्वास्थय विभाग में लिखा-पड़ी का दूसरा स्थान पा लिया। पत्रकारिता के आढ़ में दो-तीन चार चक्का वाहन खरीद कर स्वास्थय विभाग में लगाकर उस विभाग से गाड़ी का किराया वसूल रहा है।
क्या पत्रकारिता व्यापार व फर्जी के लिए कलंक बनता रहेगा? इसकी शिकायत कलेक्टरों को अवगत करा दिया गया है।