कोरिया जिले के चंद्रवेद्य सिसोंधिया जो कि अपने जिला कार्यक्रम अधिकारी के पद पर दूसरी बार आने के बाद उनके कार्यकलाप को देखते हुए ऐसा मालूम पड़ता है कि उनके स्वभाव में निखार कैसे आया तथा कार्य की शैली में इतना परिवर्तन कहां से आया? सोचने वाली बात है कि अपने परियोजना ऑफिसों में स्वयं दश्तक देते हैं। और कार्यकर्तों से स्थ्ज्ञानीय तौर पर जानकारी व गांव वालों से भी इसका विशलेषण लेते हैं। इनको आंगनगाड़ी के बच्चों के लापरवाही को बर्दाशत नहीं करते। इनका बच्चों की खाना की पोषण पर खुद खड़े होकर ध्यान देते हैं। गांव-गांव में ऐसे अधिकारी की चर्चा होती है कि सिसोंधिया जी ने ऐसा परिवर्तन देखने को मिला है। सिसोंधिया जी को कोरिया जिला में दूसरी बार आने का स्वभाग््य मिला या कोरिया जिले की जनता का भाग्य था।