छत्तीसगढ़ में आये दिन पुलिस के द्वारा पत्रकारों के साथ अबध्य व्यवहार व झुठ केस में फसाना आम बात हो चुकी है। सत्र 1984 के मध्य प्रदेश व छ.ग. प्रदेश के आदेशानुसार बिना साजपतित अधिकारी के जाँच के उपरांत ही किसी पत्रकार पर केस पंजीयन होना चाहिए परन्तु छ.ग. पुलिस प्रशासन जिस पत्रकार को अकेला देख लेती है उसी के साथ अबध्य व्यवहार व केस में फसाने का कार्य करने लगती है। आज के नये पीढ़ी के पत्रकार एक-दूसरे के खिलाफ गवाही देना आम बात हो चुकी है। नवपीढ़ी के पत्रकार पैसे को लेकर किसी के भी फेवर में समाचार लिख सकते हैं। जबकि पत्रकारिता की परिभाषा समझते तो पत्रकारों की दूरगति नहीं होती। आज के रिवाज में लिखना ना जानते, पेपर बांटना जाने वही लोग पत्रकारों की दुर्दषा बिगाड़े हुए है आज कल के लोगों को देखा जाये तो बाइक से लेकर ट्रक तक में प्रेस लिखवा कर शासन को गुमराह कर रहे हैं। छ.ग. के सभी संगठनों को वशिष्ठ टाईम्स के द्वारा लिखित पत्र से निवेदन व अनुरोध सभी संगठनों से किया है कि संपादक की बातों पर ध्यान रखते हुए अपने अनुभव को अपने पत्र के द्वारा अवगत कराया गया है कि बैकुण्ठपुर के कांग्रेस प्रवक्ता के परिवार के भष्टाचार का समाचार प्रकाशन को लेकर कोरिया जिले के प्रशासन पर दबाव बनाकर 20 सालों से प्रताड़ित किया जा रहा है। जिसकी मौखिक रूप से बैकुण्ठपुर की विधायका माननीय जी को बताया जा चुका है। पार्टी के पदाधिकारी किसी संस्था व किसी व्यक्ति का अर्नथ करने से पहले वह स्वयं अपने को देख लेते। इसी संबंध में सभी संगठनों को एकत्रित करने की मांग किया जा रहा है कि समाज का चैथा स्तंभ के साथ कोई भी अनुचित बर्दाशत नहीं होगी। सभी पत्रकार संगठनों से अनुरोध है कि संगठन भले ही अलग-अलग हो परन्तु पत्रकार के साथ अन्याय होते समय सभी एक हों क्योकि समाचार प्रकाशन की बात है मैं स्वयं सदैव पत्रकारों के हित में संर्घष करता आ रहा हूं और जब तक मेरे दम में दम होगा पत्रकारों के हित में संर्घष करता रहुंगा। मेरा समाचार पत्र ‘‘निष्पक्ष, बेवाक, स्वतंत्र एवं विचारोतेजक समाचार पत्र‘‘ से जाना जाता है। इस संबंध में राष्ट्रीय कांगे्रस अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष से भी अनुरोध किया गया है ऐसे खरपतवारों को पार्टी में रखने से नुकसान होगा। इनको खाली कहावत है कि ‘‘बुढ़ा मरे या जवान हमें हत्या से काम‘‘ इसका अर्थ अपना व्यापार चालाना होता है।