नरसिंहपुर – बुधवार को खेती किसानी से जुडी विभिन्न समस्याओं को लेकर राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर इनके निराकरण की मांग की। साथ ही चेतावनी दी कि यदि जिला प्रशासन द्वारा ठोस कार्यवाही नही की गयी तो आंदोलन किया जायेगा एंव चुनाव बहिष्कार का निर्णय भी किसान ले सकते हैं।
इस संबंध में राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ की जिला युवा इकाई के अध्यक्ष ऋषिराज पटैल , सूरज जाटव, कमल सिंह, अंकुर सेन, सुशील आदि ने बताया कि एक वर्ष से अधिक समय से 250 से अधिक किसानों का 6 करोड़ रूपये के लगभग का भुगतान बाकी है। पिछले वर्ष किसानों ने चना, मसूर पर बेचें गये भुगतान प्राप्त नही हो रहा है। अनेक बार किसान आवेदन निवेदन कर आंदोलन भी कर चुके हैं लेकिन प्रशासन असंवेदनशील और लापरवाह बना हुआ है। वहीं धान, उड़द, मूंग एवं गन्ने का भुगतान भी महीनो से लंबित है। भुगतान न होने के कारण किसान आर्थिक रूप से अनेक समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
किसानों ने बताया कि फसलों का पंजीयन असत्यापित होना एवं अनेक पटवारियों द्वारा पूर्ण रूप से पंजीयन न कराये जाने के कारण किसानों का अनाज बिक नही पा रहा है। अतः जरूरत है कि पंजीयन को बढ़ाया जाये एवं उसमें सुधार कार्य किया जाये। जिससे किसान समर्थन मूल्य पर अनाज बेंच सकें। ज्ञापन में गेहूं विक्रय का भुगतान भी समय पर कराये जाने की मांग की गई है। ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि समर्थन मूल्य केन्द्रों पर व्यवस्थायें न होने के कारण किसानों को अनेक परेशानियों से जूझना पड़ रहा है, वहीं केन्द्रों में तुलाई, मेपिंग व ट्रांसपोर्ट का कार्य समय पर नही हो रहा है जिसके चलते हजारों कि्ंवटल गेंहू खुले आसमान के नीचे पड़ा है। संगठन के जिला युवा इकाई अध्यक्ष ऋषिराज पटैल ने कलेक्टर को ज्ञापन के माध्यम से बताया कि जिले में राहर के अनेक सेंटर ऐसे स्थानों पर हैं जहां किसानों को लंबी दूरी तय करने के बाद उपज बेचने जाना पड़ रहा है। ज्ञापन में राहर केन्द्र और अधिक खोले जाने की मांग की गई है। ज्ञापन में बताया गया है कि जंगली सुअरों व आवारा मवेशी फसलों को चौपट कर रहे हैं साथ ही जंगली सुअर ग्रामीणों पर जानलेवा हमला भी करते हैं। जिसके कारण कई क्षेत्रों में ग्रामीण एवं किसानों में डर का माहौल है। साथ ही पिछले दिनों बारिश, आंधी एवं ओलावृष्टि से नष्ट हुई फसलों का सर्वे कराकर मुआवजा दिलाने की मांग की गई है। ज्ञापन में रानी अवंती बाई लोधी परियोजना की लापरवाही और उदासीनता पर भी अनेक आरोप लगाये गये हैं। ज्ञापन में कहा गया है कि क्षतिग्रस्त अनेक नहरों के कारण किसानों की फसलें चौपट हो जाती हैं। अधिकारी नहर मरम्मत के नाम पर भ्रष्टाचार कर रहे हैं। वहीं जहां पानी की समस्या रहती है किंतु अधिकारियों की लापरवाही के कारण लाखों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है। शिकायतों के बाद भी संबंधित अधिकारी कोई कदम नही उठाते। ज्ञापन में अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुये अपेक्षा की गई है कि जिन किसानों की फसलें नहर के पानी के कारण बर्बाद हुईं हैं उन्हें मुआवजा दिया जाये। ज्ञापन देते समय किसानों ने कहा कि यदि किसानों को इसी तरह से प्रताड़ित किया जाता रहा तो किसान आंदोलन करने के साथ-साथ लोकसभा चुनाव में व बहिष्कार का आव्हान भी करेंगे।