कठुआ में पीएम मोदी बोले, पाकिस्तान के न्यूक्लियर बम की हवा निकली
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को जम्मू के कठुआ में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि पहले पाकिस्तान न्यूक्लियर बम की धमकी देता था, अब उसके न्यूक्लियर बम की हवा निकल गई। उन्होंने कहा कि यह नया हिन्दुस्तान है और घर में घुसकर मारेगा।
मोदी ने कहा कि बीते कुछ दिनों में आपने भी देखा कि किस तरह कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी की महामिलावट पूरी तरह से एक्सपोज हो गई है। बरसों से जो इनके मन में था, जो वो चाहते थे, चोरी-छिपे जिसके लिए काम कर रहे थे, वो अब खुलेआम सामने आ गया है।
उन्होंने कहा कि अब ये भी धमकी दे रहे हैं। बरसों से जो इनके मन में था, चोरी छिपे जिस मसले पर ये काम कर रहे थे वो कहकर सामने आ गया है। ये जम्मू कश्मीर को भारत से अलग करने, खून खराबे और अलग प्रधानमंत्री बनाने की धमकी दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यही वो धरती है, यही वो जगह है, जहां पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने तिरंगा फहराया था। देशविरोधी हर ताकत को उन्होंने ललकारा था कि एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे। श्यामा प्रसादजी का वो उद्घोष भारतीय जनता पार्टी के लिए वचन-पत्र है, पत्थर की वो लकीर है जिसे कोई मिटा नहीं सकता। ये भाजपा का हमेशा से कमिटमेंट रहा है और देश का ये चौकीदार भी इसी भावना पर अटल है और अटल रहेगा।
उन्होंने कहा कि राजनीति अपनी जगह होती है, चुनाव अपनी जगह हैं, नेता भी आते-जाते रहते हैं, लेकिन हमारा ये देश हमेशा रहेगा। ये देश है तभी राष्ट्र रक्षा का भाव है, राष्ट्रवाद है। लेकिन देश में कुछ लोग मोदी के विरोध में इतने डूब गए हैं कि उनको राष्ट्रवाद गाली नजर आने लगा है। महामिलावटी और उनके राग दरबारी आए दिन सवाल पूछते हैं कि मोदी राष्ट्र रक्षा की बात क्यों करता है?
पीएम मोदी ने कहा कि जम्मू और बारामूला में भारी मतदान कर आपने आतंकियों के आकाओं, पाकपरस्तों और निराशा में डूबे महामिलावटियों को कड़ा जवाब दिया है।
उन्होंने कहा कि कल (शनिवार को) उपराष्ट्रपति महोदय सरकार के अधिकृत कार्यक्रम में जलियांवाला बाग शहीदों को श्रद्धांजलि देने वहां गए थे लेकिन उनके इस कार्यक्रम में कांग्रेस के मुख्यमंत्री गायब थे। उन्होंने इस कार्यक्रम का बहिष्कार इसलिए किया, क्योंकि वो कांग्रेस परिवार की भक्ति में जुटे हुए थे।
पीएम मोदी ने कहा कि वे कांग्रेस के नामदार के साथ जलियांवाला बाग गए लेकिन भारत सरकार के अधिकृत कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति के साथ जाना उन्होंने सही नहीं समझा। यही राष्ट्रभक्ति और परिवार-भक्ति का फर्क है।