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नरसिंहपुर/MP : नरवाई जलाने पर प्रतिबंध, उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के विरूद्ध होगी कार्रवाई…………

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नरसिंहपुर : वायु मंडल, पर्यावरण एवं भूमि की क्षति को दृष्टिगत रखते हुए सार्वजनिक हित में नरसिंहपुर जिले की सम्पूर्ण राजस्व सीमा क्षेत्र में नरवाई जलाने की प्रथा पर तत्काल अंकुश लगाने के लिए जिला दंडाधिकारी नरसिंहपुर श्रीमती शीतला पटले ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 के तहत प्रतिबंध लगाया है। जनसामान्य को बाधा, क्षति, मानव जीवन स्वास्थ्य, क्षेम के खतरे के प्रभाव को दृष्टिगत रखते हुए जिले की सीमाओं में खेत में खेड़े गेहूं के डंठलों (नरवाई) एवं फसल अवशेषों में आग लगाये जाने पर प्रतिबंध लगाया है। इस आदेश को दो माह की अवधि के लिए प्रभावशील किया गया है। यह आदेश तत्काल प्रभावशील होगा। आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के विरूद्ध भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 223 के अंतर्गत कार्यवाही की जायेगी।

      नरवाई में आग लगाने से भूमि में मौजूद माइक्रोब्ज की क्षति होती है। इसके साथ ही यह पर्यावरण की दृष्टि से भी हानिकारक है। इसके कारण विगत वर्षों में गंभीर अग्नि दुर्घटनायें घटित हुई हैं तथा व्यापक सम्पत्ति की हानि कारित हुई है। ग्रीष्म ऋतु में इससे जल संकट में बढ़ोत्तरी होती ही है, साथ ही कानून व्यवस्था के लिए भी विपरीत परिस्थितियां निर्मित होती हैं।

      राज्य शासन के पर्यावरण विभाग द्वारा वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम के अंतर्गत जारी अधिसूचना के प्रावधानों के अनुपालन में सम्पूर्ण मध्यप्रदेश को वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए अधिसूचित किया गया है। मप्र में वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम के तहत नरवाई जलाना तत्समय से तत्काल प्रतिबंधित किया गया है, जो वर्तमान में निरंतर है। पर्यावरण विभाग द्वारा उक्त अधिसूचना के अंतर्गत नरवाई में आग लगान वालों के विरूद्ध क्षतिपूर्ति के लिए दंड का प्रावधान किया गया है। दो एकड़ तक के कृषकों को 2500 रुपये,  दो से 5 एकड़ तक के कृषकों को 5 हजार रुपये और 5 एकड़ से बड़े कृषकों को 15 हजार रुपये का अर्थदंड प्रति घटना का प्रावधान किया गया है।

      जिला दंडाधिकारी नरसिंहपुर द्वारा जारी आदेश के अनुसार खेत की आग के अनियंत्रित होने पर जन,  सम्पत्ति व प्राकृतिक वनस्पति, जीवजंतु आदि नष्ट हो जाते हैं,  जिससे व्यापक परिस्थितिक नुकसान होता है। खेत की मिट्टी में प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले लाभकारी सूक्ष्म जीवाणु इससे नष्ट होते हैं, जिससे खेत की उर्वरा शक्ति शनै: शनै: घट रही है और उत्पादन प्रभावित हो रहा है। खेत में पड़ा कचरा,  भूसा, डंठल सड़ने के बाद भूमि को प्राकृतिक रूप से उपजाऊ बनाते हैं, इन्हें जलाकर नष्ट करना प्राकृतिक खाद्य को नष्ट करना है। आग लगाने से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है, जिससे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। जिले में कई कृषकों द्वारा रोटोवेटर व अन्य साधनों से गेहूं के डंठल खेत से हटाने के लिए साधन अपनाये जाने लगे हैं। अत: कृषकों के पास वैकल्पिक सुविधा जो कि जनहित में भी उपलब्ध हो गई है। नरवाई जलाने से भूमि की लवण सांद्रता प्रभावित होती है, जो पौधों द्वारा पोषक तत्वों के अवशोषण की दर निर्धारित करती है।

      उल्लेखनीय है कि उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग नरसिंहपुर द्वारा संज्ञान में लाया गया है कि जिले में फसल कटाई के पश्चात अगली फसल के लिए खेत तैयार करने के लिए बहुसंख्यक कृषकों द्वारा अपनी सुविधा के लिए खेत में आग लगाकर फसल काटने के उपरांत भूमि में जड़ व डूढ (नरवाई) को नष्ट कर खेत साफ किया जाता है। इससे व्यापक अग्नि दुर्घटनायें होकर जन- धन की हानि होती है। इसे नरवाई में आग लगाने की प्रथा के नाम से भी जाना जाता है। नरवाई में आग लगाने पर प्रतिबंध लगाया जाना जनहित में आवश्यक है, जिस पर जिला दंडाधिकारी द्वारा उक्त आदेश जारी किया है।

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