प्राप्त जानकारी के अनुसार, इसी प्रकार पूर्व से ही निस्तार बाईसागर तालाब को लेकर कोरिया प्रशासन को अवगत कराया जा रहा है पर उसको अज्ञानता का परिचय देकर शिकायतकर्ता को गुमराह करके रखा गया है, जबकि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश अनुसार निस्तार व तालाब को बेचा नहीं जा सकता। पर बड़ी विडम्बना की बात है तालाब को बेच दिया गया। जबकि पूर्व के रिकाॅर्ड सन् 1947-48 में लिखा है कि, यह तालाब जानवरों के पानी पीने, नहाने धोने व निस्तार के लिए है। जिसकी शिकायत श्रीमान् कलेक्टर महोदया जी से दर्जनों बार किया जा चुका है। वहीं आवेदक द्वारा श्रीमान् सरगुजा आयुक्त को भी इस संबंध को लेकर शिकायत किया गया। और श्रीमान् सरगुजा आयुक्त ने कोरिया प्रशासन को अवगत कराया कि, अवैध निर्माण को रोक कर हमंे अवगत कराया जाये। जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश का भी उल्लेख करते हुए लिखा गया है कि, इस स्थान को पूर्व की स्थिति में किया जाये। पर भू-माफिया अपने वर्चस्व, राजनिति व पैसे के दबाव में उस आदेश को तहसीलदार, नायब तहसीलदार व आर.आई द्वारा श्रीमान् सरगुजा आयुक्त के आदेश की धज्जियां उड़ाई गई और साथ ही आवेदक को पूछा भी नहीं गया। यही नहीं अपने पद का दुरूपयोग करते हुए उस आदेश के आधार पर स्थगन आदेश भी दिया गया। और आदेश को निरस्त करते समय भी निस्तार व तालाब का कोई उल्लेख नहीं किया गया।
मिली जानकारी के अनुसार, इसी प्रकार स्वास्थ्य विभाग सोनहत में एक कम्प्यूटर आॅपरेटर का भ्रष्टाचारी का प्रमाण मिला, साथ ही उसका बैंक का रिकाॅर्ड देखा गया तो सबूत पक्का पाया गया उस व्यक्ति के ऊपर प्रशासन के द्वारा एफआईआर होना चाहिए था पर कोई भी किसी प्रकार की एफआईआर नहीं हुआ। जानकार सूत्र बताते है कि, उसी के भाई को ड्रेसर की पद पर बैकुण्ठपुर में रख लिया गया है।
जानकार सूत्र बताते है कि, एक और प्रमाण बालमिक मिश्रा के बार-बार समाचार के माध्यम से प्रशासन को अवगत कराया गया जिसमें वीडियों में पैसे का लेन देन दिखाया गया। उसके पुत्र द्वारा समाचार को लेकर संपादक को जान से मारने की धमकी भी दिया गया। जिसका सोनहत में बालमिक मिश्रा का स्थानांतरण किया गया था। पर बालमिक मिश्रा को सोनहत की जगह पटना में अभयदान दिया गया।
इसी प्रकार एक धान खरीदी केन्द्र का मामला बैकुण्ठपुर पुलिस अधीक्षक व थाना प्रभारी को लिखित रूप से संपादक ने शिकायत किया। उस समाचार को लेकर अजय साहू सोसायटी प्रबंधक द्वारा एक रिकाॅडिंग के द्वारा प्रुफ दिया गया कि, संपादक को जान से मारने की धमकी दी गई। पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।
इसी प्रकार पूर्व मुख्यमंत्री भूपेष बघेल के द्वारा आदेश दिया गया था कि, जो व्यक्ति जमीन पर कब्जाधारी है उसको फ्रीहोल्ड जमीन दिया जायेगा। पर बैकुण्ठपुर राजस्व विभाग द्वारा जिसकी पहुंच व पैसा है उसको ही जमीन दिया गया। बाकी सब का फाॅर्मेल्टि होकर पेंडिंग में पड़ा हुआ है। साथ ही बैकुण्ठपुर नगर पालिका के द्वारा जगह-जगह नाली रोड़ निर्माण ऐसे ठेकेदारों को दिया गया है जो कि अनुभवविहीन है। अब इसे प्रशासन के कृत्यों को सुशासन की जगह कुशासन क्यों न बोला जाये ? सभी कृत्यों के प्रुफ संलगन है। यह समाचार आम जनता के विचारधाराओं द्वारा प्रकाशित किया जा रहा है।