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कोरिया जिले में कुशासन फल-फूल रहा ?………….

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जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर में ऐसे कुछ कलमकार अपने को बहुत बड़े-बड़े लेखककार बतलाते है जो कि शासकीय समाचारों को काॅपी करने में माहिर है। जानकार सूत्र बताते है कि, यह लोग सूचना के अधिकारी से वसूली करने का इनका मेन व्यापार है। साथ ही शासन की योजना, शासन की विचारधारा व चापलूसी करना उनका एक अधिकार बन गया है। क्योंकि ऐसे लोगों का चापलूसी करना आम बात हो गयी है। क्योंकि इनका बिजनेस भी इसी से जुड़ा हुआ रहता है।

बता दें कि, निष्पक्षता की पत्रकारिता में हर तरीके के संघर्ष आते है। जैसे कोरिया प्रशासन से वशिष्ठ टाइम्स संपादक अपने विचारधारा के साथ ऐसे मनचले लोगों के खिलाफ समाचार लिखते है जो अपराधि विचारधारा के होते है। जिनके विरूद्ध समाचार लिखा होता है वह लोग इस समाचार को पढ़कर पचा नहीं पाते है तो संपादक को उल-जलूल धमकी देना लाजमी है। प्रशासन ऐसे लोगों के ऊपर कार्यवाही करना जरूरी नहीं समझता है पर श्रीमती कोरिया कलेक्टर महोदया व पूलिस अधीक्षक का ऐसे लोगों के ऊपर कार्यवाही क्यों नहीं हो रही ? इससे प्रतीत होता है कि, अपराधियों को कोरिया प्रशासन का संरक्षण प्राप्त है। सोचनीय विचार है कि, यह कुशासन के अन्तर्गत आता है या नहीं ?

प्राप्त जानकारी के अनुसार, बैकुण्ठपुर में स्वास्थ्य विभाग की स्थिति चरमरा गई है जिस घर का एक व्यक्ति भ्रष्टाचारी का प्रमाण पाया गया, उसी के भाई को जीवन दीप में रख लिया गया। उसी गौतम परिवार की जानकारी सीएमएचओ बैकुण्ठपुर को अवगत कराया गया है जो कि गौतम परिवार की एक महिला ने फर्जी ढंग से फर्जी कान का विकलांग प्रमाण पत्र बनवाकर एक्सरे टेक्निशियल पद पर पटना कार्य कर रही है। जबकि जिस वक्त कान का विकलांग प्रमाण पत्र बना है उस समय कान का कोई भी डाॅक्टर बैकुण्ठपुर में नहीं था। यह सोच से परे है। जानकार सूत्र बताते है कि, बैकुण्ठपुर के गौतम परिवार ने सीएमएचओ की कोई कमी पकड़ ली होगी या कोई घनिष्ठ संबंध है। जो कि सब जानते हुए भी कोई कदम नहीं उठा रहे है। बताया जाता है कि, पूरे कोरिया जिले में गौतम परिवार से लगभग 28 लोग स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत है। पर क्या करें ? सूचना के अधिकार से स्वास्थ्य विभाग भरा पड़ा है। यहां तक कि, स्वास्थ्य मंत्री का आदेश की अवहेलना सीएमएचओ कर रहे है।

लोगों में तरह-तरह की चर्चाऐं है कि, बैकुण्ठपुर में अधिकारियों को देखा जाये तो अपने आॅफिसों से नदारद रहते है। साथ ही चर्चा का विषय है जिला शिक्षा अधिकारी शिक्षा विभाग के ऊपर ध्यान दिये हुए है फिर भी शिक्षक समय से नहीं पहुंचते। वहीं कुशासन की कितने खामिया बताया जाये, तहसील हो या एसडीएम आॅफिस बिना पैसे के कोई भी काम नहीं होता। जैसे एक आदिवासी द्वारा पैसे लेकर कार्य नहीं किये जाने पर जनदर्शन में तहसील के बाबू का शिकायत किया। पर प्रशासन द्वारा कोई भी कार्यवाही नहीं किया गया। क्या किसी के दबाव में कार्यवाही नहीं हुआ या कोई आम आदमी पर ध्यान ही नहीं देता। कितना दुख की बात है आम आदमी के बातों की कार्यवाही नहीं की जाती।

मिली जानकारी के अनुसार, आज भी बैकुण्ठपुर तहसील कार्यालय जमीन दलालों व भू-माफियों के छत्रछाया में फल-फूल रहा है। यहां तक कि, शासकीय कर्मचारी नौकरी भी करते है और जमीन की दलाली भी करते है। जब देखे बैकुण्ठपुर आरआई के पास भू-माफियों को जामवाड़ा रहता है।

अब देखना यह है कि, कोरिया प्रशासन ऐसे व्यक्तियों के ऊपर कार्यवाही करेगी या नही ? जिसका जीता जागता प्रमाण जन संपर्क विभाग को दे दिया गया है जन संपर्क विभाग अधिकार क्षेत्र को भी कार्यवाही करने की सलाह दें। यही सब कुशासन के प्रमाण है। सुशासन उसी के लिए है जिसको अधिकारी, प्रशासन और शासन से लाभ मिल रहा है बाकि कुषासन है। यह समाचार आम जनता के विचारधाराओं के अनुसार प्रकाशित किया जा रहा है।
एक मामला लगभग 70 करोड़ रूपये कृषि एवं उद्यानिकी विभाग से निकाला गया है इसकी जानकारी आगे दी जायेगी।………..

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