मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया स्टॉल का निरीक्षण
जिले की प्रसिद्ध गाडरवारा तुअर दाल और करेली का गुड़ के बारे में दी जानकारी
नरसिंहपुर : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने “मध्यप्रदेश में जैविक खेती- पद्धतियां और मूल्य संवर्धन” विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ किया। यह कार्यशाला राज्य कृषि विस्तार एवं प्रशिक्षण संस्थान भोपाल (बरखेड़ी- नीलबड़ रोड) में कृषि विभाग द्वारा आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक जिला- एक उत्पाद योजना के तहत विभिन्न विभागों और जैविक खेती के क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का उद्धाटन किया। इस दौरान नरसिंहपुर जिले की प्रसिद्ध गाडरवारा तुअर दाल और करेली का गुड़ का स्टॉल भी लगाया गया था, जिसका मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अवलोकन किया। मुख्यमंत्री ने कृषकों से संवाद किया और उनके अनुभवों की जानकारी ली।
अवलोकन के दौरान कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को बताया गया कि एक जिला- एक उत्पाद योजना के तहत नरसिंहपुर जिले की गाडरवारा तुअर दाल और करेली का गुड़ को शामिल किया गया है। ये दोनों उत्पाद अपनी गुणवत्ता और स्वाद के लिए जाने जाते हैं। गाडरवारा की तुअर दाल अपनी उच्च गुणवत्ता और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। यह दाल स्थानीय किसानों द्वारा उगाई जाती है और पारंपरिक तरीकों से संसाधित की जाती है। यह दाल प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है और शाकाहारी लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण भोजन है।
इसी तरह करेली का यह गुड़ अपनी मिठास और गुणवत्ता के लिए जाना जाता है। यह गुड़ गन्ने के रस से बनाया जाता है और इसमें कोई भी कृत्रिम रंग या रसायन नहीं मिलाया जाता है। यह गुड़ आयरन और अन्य खनिजों का एक अच्छा स्रोत है।
उल्लेखनीय है कि एक जिला- एक उत्पादन योजना के तहत स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना और उन्हें राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में पहचान दिलाना है। स्थानीय किसानों और उद्यमियों को उनकी आय बढ़ाने में मदद करना है। इसके अलावा स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देना है। इसी क्रम में जिले की गाडरवारा की तुअर दाल और करेली का गुड़ के उत्पादन और विपणन को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की गई हैं। इसमें किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज और उर्वरक प्रदान करना है। दाल और गुड़ के प्रसंस्करण के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग करना है और विपणन के लिए नये बाजार विकसित करना है। एक जिला- एक उत्पादन योजना के तहत जिले के किसानों और उद्यमियों को अपनी आय बढ़ाने एवं स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद मिल रही है।