लोकसभा की टिकट के लिए छत्तीसगढ़ कांग्रेस में घमासान, इस नीति का विरोध कर रहे नेता
छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव की तैयारी तेज है. 15 साल बाद छत्तीसगढ़ में सत्तासीन होने वाली कांग्रेस पार्टी अब लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है.
छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव की तैयारी तेज है. 15 साल बाद छत्तीसगढ़ में सत्तासीन होने वाली कांग्रेस पार्टी अब लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है. तैयारियों के बीच प्रत्याशी चयन को लेकर अभी से घमासान शुरू हो गया है. कांग्रेस में विधायकों और राज्यसभा सांसदों को को टिकट नहीं दिए जाने का भी हल्ला तेज है. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 90 में से 68 सीटों पर मिली बंपर जीत से गदगद कांग्रेस में विधायकों और राज्यसभा सांसदों को लोकसभा के चुनावी मैदान में नहीं उतारने की चर्चा शुरू हो गई है.
तमाम चर्चाओं के बीच सूबे के वरिष्ठ मंत्री रविंद्र चौबे ने दो टूक कहा कि विधानसभा की ही तर्ज पर ही लोकसभा में भी प्रत्याशी तय होंगे, जिसमें युवा भी हो सकते हैं और अनुभवी भी. तो वहीं कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा कि प्रत्याशी चाहे कोई भी हो हम 11 में से 11 सीटों पर जीतने के लिए कार्य कर रहे हैं.
दरअसल कांग्रेस पार्टी धनेंद्र साहू, सत्यनारायण शर्मा, ताम्रध्वज साहू, जयसिंह अग्रवाल, रामपुकार सिंह, खेलसाय सिंह, कवासी लखमा, मनोज मंडावी जैसे अनुभवी विधायकों सहित राज्यसभा सांसद छाया वर्मा को लोकसभा के चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी में थी, जिसे आला कमान ने यह कहते हुए नामंजूर कर दिया कि अगर एक ही व्यक्ति को विधानसभा और लोकसभा दोनों का टिकट मिलेगा तो कार्यकर्ताओं में आक्रोश बढ़ेगा.
आला कमान के इस निर्णय से जहां एक तरफ कांग्रेस के भीतरखाने प्रत्याशी चनय को लेकर जबरदस्त हलचल मची हुई है तो वहीं दूसरी तरफ विपक्षीय दल कांग्रेस की इस स्थिति पर तंज कस रहे हैं. प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुनील सोनी का कहना है कि कांग्रेस में एक दूसरे के बीच ही घमासान मचा हुआ है. बहरहाल विधायकों को सांसद का टिकट देना कोई नई बात नहीं है. मगर जब 15 सालों बाद सूबे में कांग्रेस की सरकार बनी हो तो सब की महत्वाकांक्षा परवान तो चढ़ेगी ही. देखना होगा कि कांग्रेस में प्रत्याशी चयन को लेकर मचा यह बवाल कहां थमता है और कांग्रेस को क्या नफा-नुकसान होता है.