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कोरिया/CG : प्रशासन से एक बड़ा सवाल ? एसडीएम, तहसीलदार और आर.आई ने मिलकर क्यो किया सरगुजा संभाग आयुक्त के आदेश की अवहेलना ?……………

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जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर में बाईसागर तालाब को लेकर लगभग एक साल से सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत राजस्व विभाग से जानकारी मांगी जा रही है कि, निस्तार व तालाब को किसके द्वारा कृषि भूमि बनाकर विक्रय किया गया ? पर जन सूचना अधिकारी और अपीलीय अधिकारी द्वारा कोई भी जानकारी नहीं दिया जा रहा है।

बता दें कि, बाईसागर तालाब के पूर्व दस्तावेजों में निस्तार व तालाब को लेकर बार-बार शिकायत किया गया, परंतु शिकायत को लेकर कोरिया प्रशासन ने कोई भी कार्यवाही करने में संज्ञान नहीं लिया। इसी कडी को लेकर जब आवेदक द्वारा श्रीमान सरगुजा संभाग आयुक्त के पास जाकर गुहार लगाया, तब श्रीमान आयुक्त द्वारा बैकुण्ठपुर राजस्व विभाग को आदेश दिया कि, बाईसागर में चल रहे कार्य पर रोक लगाया जाये तथा इसे जुड़े सभी कागजातों को हमें अवगत कराये। परंतु कुछ दिनों के लिए एसडीएम द्वारा खानापूर्ति किया गया, फिर भी बाईसागर तालाब में काम चलता रहा। इससे साबित होता है कि, श्रीमान् सरगुजा संभाग आयुक्त के आदेशों का बैकुण्ठपुर राजस्व विभाग में कोई मोल नहीं है। क्योंकि यहां सरासर उनके आदेश की अवहेलना की गई है।

वही अभी हाल ही में कोरिया तहसीलदार व आर.आई के द्वारा कागजों में झूठ बोला गया कि, आवेदक को मौखिक रूप से बुलाया गया था पर आवेदक अनुपस्थित रहे। जानकार सूत्र बताते है कि, अनावेदक से मिलीभगत करके राजनितिक व पैसे के दबाव में ऐसा कृत्य किया गया है। जो कि पद का दुरूपयोग किया जा रहा है।

बता दें कि, तहसीलदार व आर.आई द्वारा एक पंचनामा अनावेदक के पक्ष में लिखा गया कि, आपसी समझौता के आधार पर आवेदक को उपयोग के लिए जमीन दिया जाता है उस पंचनामा में भू-माफियों के सभी लोगों के हस्ताक्षर है। जो कि इनके साथ आवेदक के विरूद्ध लगभग तीस सालों से जमीन को लेकर विवाद चल रहा है जिसका नाम है प्रभाकर डबरे है, उसको भी सम्मिलित किया गया है। जबकि आवेदक को पंचनामा के संबंध में किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं थी। तब बैकुण्ठपुर एसडीएम द्वारा ऐसे कृत्यों को संज्ञान में लेकर स्थगन निरस्त किया गया।

लोगों में चर्चा है कि, पैसा व राजनितिक के आधार पर कोई भी किसी प्रकार की सुनवाई नहीं हुई। साथ ही यह भी चर्चा में है कि, राजस्व विभाग एक ऐसा विभाग है जिसमें तानाशाही व भ्रष्टाचारी खुले आम देखा जा रहा है। यह सोचने वाली बात है कि, जब एसडीएम में अनावेदक की पेशी 9 तारीख की थी परंतु एसडीएम बाबू सींदे द्वारा पैसा लेकर 8 तारीख को ही पेशी ले लिया गया। इस संबंध में कलेक्टर महोदया जी को बताया गया है। ऐसे ही कई मामले है जिससे तहसीलदार व एसडीएम नजर-अंदार कर रहे है। न्यायालय एक मर्यादित स्थान है जिसका मर्यादित तार-तार किया जा रहा है। जिसका प्रमाण पंचनामा की काॅपी में देखा जा सकता है।

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