छत्तीसगढ़ में धान खरीदी केंद्रों में हेरा-फेरी का मामला उजागर हुआ है, जिसमें जगह-जगह किसानों के साथ धोखाधड़ी की जा रही है। यह मामला इतना गंभीर है कि किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य नहीं मिल पा रहा है। और किसानों के साथ अन्याय किया जा रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, बलरामपुर, जशपुर, सूरजपुर और अम्बिकापुर क्षेत्र में धान खरीदी केंद्रों में बड़ा घोटाला सामने आया है। यहां के किसान अपनी चतुराई से बाहर का धान खरीदकर अपने खाते में दर्ज करा रहे हैं, क्योंकि उनके पास धान की उपज कम है। यह धान खरीदी घोटाला, किसानों के साथ-साथ सरकार को भी चूना लगा रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार, आरआईए पटवारी, खाद्य अधिकारी, नायब तहसीलदार और एसडीएम द्वारा जांच पड़ताल के बावजूद धान प्रबंधन और धान खरीदी दलालों द्वारा धान खरीदी केंद्रों में अवैध धान बिक्री की जा रही है। यह पूरा मामला प्रशासन की लापरवाही और भ्रष्टाचार को दर्शाता है, जहां पूरा प्रशासन दिखावा कर रहा है लेकिन वास्तव में कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।
जानकार सूत्र बताते है कि, इन क्षेत्रों में अधिकारियों की मिलीभगत से धान खरीदी केंद्रों में लगभग 50 लाख से लेकर 1 करोड़ रुपये तक का हेरा-फेरी किया जा रहा है। यह घोटाला इतना बड़ा है कि पूरा प्रशासन इसके सामने नाकाम नजर आ रहा है।
यही नहीं किसानों की मुंह जुबानी सुने तो, धान खरीदी केंद्रों में धान पलटना, बोरा सिलना, धान चढ़ाना इत्यादि के नाम पर धान खरीदी प्रबंधक द्वारा किसानों से पैसे लिए जा रहे हैं। यह पूरा मामला प्रशासन की लापरवाही और भ्रष्टाचार को दर्शाता है।
इस मामले में यह सवाल उठता है कि जब प्रशासन के जांचकर्ता हेरा-फेरी को नहीं पकड़ पा रहे हैं, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है? क्या यह पूरा मामला प्रशासन की मिलीभगत से चल रहा है ?
जानकार सूत्र बताते है कि, प्रबंधक अपने-अपने केन्द्रों में खरीदने वाले और तौलने वाला कर्मचारी अलग-अलग रखता है जो कि उनके कर्मचारियों द्वारा लगभग 41 किलो 800 ग्राम धान तौलते देखा गया है। यह भी एक बड़ा घोटाला है, जिसमें किसानों के साथ धोखाधड़ी की जा रही है।
ऐसे में यह भी सवाल उठता है कि जब धान राईस मील में जाता है, तो उसकी बढ़ती कीमत का पैसा किसको मिलता है? क्या यह पैसा किसानों को मिलता है या फिर प्रबंधक और अन्य अधिकारियों की जेब में जाता है? यह एक बड़ा सवाल है ?
इस मामले को लेकर किसानों में आक्रोश है, और वे इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और किसानों के साथ हो रही धोखाधड़ी को रोकना चाहिए।