बिल्ली के भाग्य से छिका टूटा……?
जिला-कोरिया बैकुण्ठपुर की स्थिती भी कुछ मुहावरों की तरह ही सही साबित होती नजर आ रही है, क्योंकि जिस प्रकार से जिले के काॅग्रेसियों में होड़ सी मच गई है, कि विधायकों को मैं जिताया हूँ मेरे वजह से ही विधायक चुनकर आए हैं, जबकि सच्चाई कोसों दूर है, हमारी सूत्रों की माने तो मुख्यालय की स्थिती इतनी दयनीय थी की पोलिंग बूथों पर एजेटों तक का पता नहीं था, और चुनाव सफलता पुर्वक संगठन ने संचालन कर दिया। कहा जाता है की भारतीय जनता पार्टी के विधायकों को उनके घमंड ने ही ले डूबा अन्यथा कार्यकर्ता इतनी ताकत नहीं लगाते हराने के लिए, वहीं दूसरी तरफ काॅग्रेंस का भी हाल कुछ कुछ एक समान है,
आज देखा जाए तो विधायकों को कुछ चट्टोकारों ने मौसमी मेंढ़कों की तरह घेर रखा है, और सभी अपने अपने हिसाब से विधायको से कार्य कराने का दम भरते चैराहे चैराहे पे आसानी से देखे जा सकते हैं, इनकी चट्टोकारिता ने वर्तमान का माहौल इतना खराब कर रखा है कि आज अगर चुनाव फिर से करा दिए जाएं तो एकाद विधायक ही अपना जमानत बचा पायेंगे, इसमे कोई शंसय नहीं, यह हमारी सोंच नहीं है, यह विचार आम जनता के बीच से लगातार आ रही है, जो अब पूर्व और वर्तमान में अंतर करने में लगे हैं, जिसका की आने वाले समय में परिणाम देखने को मिल सकता है, आज सभी जिलों के विधानसभाओं की बहुत ही बूरी स्थिती हो गई है,
लोग अपने छोटे बड़े कार्यों के लिए भटकने को मजबूर हो चले हैं, उनको यह समझ ही नहीं आ पा रहा है कि अपने कार्यों के लिए वे किसके पास जाएं, आज हर कोई अपने कार्यों को लेकर विधायको के पास नहीं पहुँच पा रहा है, वहीं दूसरी तरफ विधायकों के इर्द गिर्द नजर डाली जाए तो आसानी से देखा जा सकता है की जो कभी भी किसी के विश्वसनीय न रहे हों जिनका काम ही सटीक का ना रहा हो वे लोग ही नजर आऐंगे, वे लोग पूर्व में भाजपा की सरकार थी भाजपा की तीनों विधायक थे तब तो अवैद्य वसूली एवं ब्लैकमेलिंग का व्यवसाय बिना रोक टोक के करते थे, इससे भली भांती समझ सकते हैं कि आज वे लोग किस हद तक जा सकते है।