जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर में बाईसागर तालाब का जांच होने के बाद भी अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। बता दें कि, श्रीमती कोरिया कलेक्टर महोदया जी को आवेदक द्वारा सुप्रिम कोर्ट से लेकर हाई कोर्ट तक का ब्यौरा एवं सबूत देते हुए आवेदन दिया गया है फिर भी उन सबूतों को नजर-अंदाज कर दिया गया। एक तरफ आदेशानुसार किसी भी निस्तारी तालाब व हरे-भरे वृक्षों को नष्ट नहीं किया जा सकता, इन शब्दों का उल्लेख किया जाता है वहीं दूसरी ओर बाईसागर तालाब के हरे-भरे वृक्षों को काट कर उस स्थान को भाट दिया गया। यह किसके आदेश पर पेड़ो को काटा गया व तालाब को भाट दिया गया ? साथ ही उसके स्थान पर बहुमंजिल मकान निर्माण हो चुका है एवं अब भी निर्माण कार्य जारी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, कुछ अपराधी किस्म के अधिकारियों ने सातिर दिमाक से निस्तार तालाब को कृषि भूमि में परिवर्तित कर दिया है। उसके पश्चात भी शासन और प्रशासन गहरी नींद में सो रही है जबकि पूरा दस्तावेज व रिकाॅड श्रीमती कलेक्टर महोदया जी को सौंप दी गयी है। इसके बावजूद भी कोई उचित निर्णय नहीं सुनाया गया। जिससे बैकुण्ठपुर की जनता जानना चाहती है कि, ऐसा क्या कारण है जो कि बाईसागर तालाब को लेकर कोई भी उचित निर्णय नहीं लिया जा रहा ?
बता दें कि, इस संबंध को लेकर सरगुजा संभाग के कमीशनर ने भी संज्ञान में लिया है और कोरिया प्रशासन से समय सीमा 15 दिन के अंदर जांच करने का आदेश दिया है। वही समाचार एक राष्ट्रीय आईना होता है जिसको बार-बार दिखाने के बाद भी मामला वही-का-वही है। बाईसागर तालाब को आवेदक लगभग 25 वर्षो से बार-बार निवेदन करते चला आ रहा है कि, तालाब में अवैध रूप से निर्माण कार्य चल रहा है। जिसमें पूर्व में जीव-जन्तु पलते थे लेकिन भू-माफियों ने उन जीव-जन्तुओं के भी हत्या कर डाली। इसका जिम्मेदार कौन है ?
मिली जानकारी के अनुसार, इस सभी कृत्यों में राजस्व विभाग का पूरा योगदान है। ऐसा मालूम पड़ता है कि, पैसे के बल पर प्रशासन बिका हुआ है। जबकि आवेदक ने श्रीमती कलेक्टर महोदया जी को आवेदन दिया था कि, तालाब में अवैध रूप से निर्माण कार्य चल रहा है फिर भी कार्य नहीं रोका गया। इस संबंध में आवेदक ने कलेक्टर महोदया जी से मोबाईल द्वारा भी बात किया गया कि, बाईसागर तालाब की जांच हो रही है तो अवैध निर्माण कार्य में पूर्णतः रोक लगायी जाए, परंतु इन बातों पर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया। माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन किया जाता है कि, इस पर जांच करके कार्यवाही करने के निर्देश दे ताकि अवैध रूप से कार्य रूक सके।