बैकुण्ठपुर मुख्यालय के तहसील कार्यालय को लेकर तरह-तरह की चर्चाऐं चल रही है। जानकार सूत्र बताते है कि, तहसील न्यायालय में दलाल कमीशन के आधार पर काम करते है। वही लोगों का कहना है कि, कुछ नयी पीढ़ी पत्रकार तहसील के काम को लेकर वास्तविकता कुछ और होती है और बताते कुछ और है। जबकि असलियत तो गांव व शहर के तहसील कार्यालय से पीड़ित निवासी ही बता सकते है।
वही कुछ लोगों का कहना है कि, एक पउवा का पैसा दो पत्रकारों से फिर कुछ भी प्रशंसा लिखवा लो। परंतु सच्चाई का प्रमाण 13/06/2024 का सरगुजा संभाग आयुक्त के द्वारा भेजा गया पत्र दर्शाता है कि, उस आवेदक के कार्य को लेकर लगभग 8 महीनों में भी तहसीलदार के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किया गया, तो इससे बड़ा प्रूफ क्या होगा ? इस संबंध को लेकर कलेक्टर महोदया जी को भी बताया जा चुका है कि, आम जनता तहसीलदार के कार्यकलापों से त्रस्त हो चुकी है। जानकार सूत्र बताते है कि, शिक्षा विभाग के कर्मचारी किसके आदेश/निर्देश पर कार्य कर रहे है ? इनका भुगतान राजस्व विभाग देता है या शिक्षा विभाग ? या फिर वसूली के पेमेंट से किया जा रहा ?
बता दें कि, तहसील के एक कर्मचारी द्वारा रिश्वत लेकर काम न करने का जनदर्शन में भी शिकायत किया गया था, परंतु आज तक उनके ऊपर कार्यवाही नहीं किया गया। क्या विधायक का खास आदमी था जो कि कार्यवाही नहीं किया गया ? लोगों में चर्चा है कि, तहसील में सभी लोग पैसा लेते है बिना पैसे के काम होता ही नहीं है। पैसा दो काम लो, पैसा नही ंतो काम नहीं। यह नियम किसके आदेश पर लागू हुआ है ? अब देखना यह है कि, क्या श्रीमती कलेक्टर महोदया इस संबंध पर जांच के निर्देश देंगी ?