बैकुण्ठपुर मुख्यालय में पत्रकारों द्वारा कुछ नगर पालिका के कर्मचारियों को संरक्षण देने का मामला उजागर हुआ है। जानकार सूत्र बताते है कि, नगर पालिका के कर्मचारी कभी भी अपने डियूटी में नहीं रहते, क्योंकि वह जगह-जगह दुकानों व फुल पत्ती वालों के साथ बैठे नजर आते है, परंतु वेतन नगर पालिका से लेते है।
मिली जानकारी के अनुसार, पत्रकार पत्रकारिता की धौस में अपने परिवार को भी नगर पालिका में नौकरी पर रखे हुए है। जानकार सूत्र बताते है कि, पत्रकार अपने बच्चों के नाम पर बेरोजगारी भत्ता का भी उठा रहे है।
बता दें कि, इस संबंध को लेकर समाचार प्रकाशित होता है तो समाचार पत्र के संपादक की आलोचना अधिकारियों से करते है। जबकि जुमा-जुमा पत्रकारिता को चार दिन हुआ नहीं और अपने से बड़े उम्र वालों से मुंह लगाते रहते है, यह कहां तक इंसानियत है ? ऐसे लोग पत्रकारिता को तार-तार कर रहे है। ये पत्रकारिता का कौन सा नियम है कि, कोरिया कलेक्टर के साथ फोटो खिंचवाकर डीपी लगाकर पत्रकारिता के नाम पर धौस देते है। यह पत्रकार क्या संदेश देना चाहते है ? और क्यों नगर पालिका ऐसे लोगों से दबी हुई है ?