भाई दूज का पर्व भाई-बहन के बीच मजबूत रिश्ते का प्रतीक है। यह हर साल दिवाली के दो दिन बाद बहुत धूमधाम और भव्यता के साथ मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि या दूसरे दिन मनाया जाता है। इस साल भाई दूज 3 नवंबर को है। इस शुभ दिन पर बहनें अपने भाइयों की लंबी व खुशहाल जिंदगी के लिए प्रार्थना करती हैं और उन्हें टीका करती हैं। इस बार भाई दूज पर राहुकाल का भी योग बन रहा है।
शाम के समय कब करें टीका
वहीं, भाई दूज पर शाम को तिलक का मुहूर्त शाम 6 बजे से रात 9 बजे तक रहेगा।
तिलक करने का महत्व
तिलक हिंदू धर्म में शुभता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। तिलक माथे पर लगाया जाता है, जो हमारे शरीर का महत्वपूर्ण स्थान है, इसे आज्ञा चक्र भी कहते हैं। इसे दिव्य ऊर्जा का केंद्र माना जाता है, जो व्यक्ति की मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाता है। यम द्वितीया पर तिलक लगाने से भाई को नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा मिलती है और उसकी आयु में वृद्धि होती है।
राहुकाल कब से कब तक
वहीं, राहुकाल इस दिन शाम 4 बजकर 30 मिनट से 6 बजे के बीच रहेगा. इस दिन किसी तरह का शुभ कार्य करने से बचना चाहिए।
तिलक करने के नियम
1. तिलक का समय: भाई दूज का तिलक शुभ मुहूर्त में करना चाहिए। आमतौर पर यह तिलक सुबह या दोपहर के समय किया जाता है। शुभ मुहूर्त का चयन कर भाई को तिलक करने से इसका प्रभाव और बढ़ जाता है।
2. तिलक के लिए सामग्री: तिलक के लिए हल्दी, चंदन, कुमकुम और अक्षत (चावल) का प्रयोग किया जाता है। चंदन शांति और मानसिक संतुलन का प्रतीक है, हल्दी शुभता और स्वास्थ्य का प्रतीक मानी जाती है, जबकि अक्षत अखंडता और संपूर्णता का प्रतीक होता है।
3. तिलक के बाद आरती: तिलक करने के बाद बहनें भाई की आरती उतारती हैं और भगवान से उसकी रक्षा और दीर्घायु की प्रार्थना करती हैं। आरती के लिए दीपक, कपूर, और फूलों का उपयोग किया जाता है। आरती के समय बहनें भाई के चारों ओर घुमाकर उसे बुरी नजर से बचाने का प्रयास करती हैं।
4. भोजन और मिठाई का महत्व: तिलक और आरती के बाद बहनें भाई को मिठाई खिलाती हैं और भोजन करवाती हैं। यह भी यमराज के वरदान का हिस्सा है। बहन द्वारा दिए गए भोजन को ग्रहण करने से भाई के जीवन में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य बना रहता है।
5. तिलक के दौरान भगवान यमराज और यमुनाजी का ध्यान करें और उनसे भाई की रक्षा की कामना करें।
भाई दूज का महत्व
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि राक्षस नरकासुर का वध करने के बाद, भगवान कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए थे। उन्होंने मिठाइयों और फूलों से उनका स्वागत किया, उनके माथे पर तिलक लगाया। तब से, यह अपने भाई के प्रति बहन के प्यार को उजागर करने वाले भाई दूज उत्सव का प्रतीक बन गया है।