1 नवंबर, 2000 के दिन मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य अस्तित्व में आया था। पौराणिक नाम की बात की जाए तो इसका नाम कौशल राज्य (भगवान श्रीराम की ननिहाल) है। छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश राज्य का करीब 30 फीसदी हिस्सा है। दरअसल, मध्य प्रदेश के दक्षिण-पूर्व के हिस्से को अलग कर छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण किया गया है।
वैसे तो अनेक कहानियां छत्तीसगढ़ के नाम पर प्रचलित हैं। पर असल कारण था गोंड राजाओं के 36 किले। जी हां, इन 36 किलों को गढ़ भी कहा जाता है। इन्हीं के कारण इस राज्य का नाम छत्तीसगढ़ पड़ा। बता दें कि, छत्तीसगढ़ भारत का ऐसा राज्य है जिसे ‘महतारी'(मां) का दर्जा दिया गया है। ये राज्य वैष्णव, शैव, शाक्त, बौद्ध संस्कृतियों के विभिन्न कालों के प्रभाव में रहा है।
36 किलों का रहस्य
सूत्रों के अनुसार ज्यादातर इतिहासकारों का मानना है कि कल्चुरी राजाओं द्वारा 36 किले या कई गांवों को मिलाकर गढ़ बनाए गए थे। इस इलाके को कोसल या दक्षिण कोसल के तौर पर जाना जाता था। ये उस समय की बात है जब रामायण काल से सत्रहवीं शताब्दी का दौर चल रहा था। ध्यान देने वाली बात ये है कि राजाओं के समय में छत्तीसगढ़ की राजधानी बिलासपुर के पास स्थित शहर रतनपुर, कल्चुरी हुआ करती थी।
छत्तीसगढ़ नाम की उत्पत्ति
‘छत्तीसगढ़’ एक प्राचीन नाम नहीं है। इस नाम का प्रचलन 18वीं सदी के दौरान मराठा काल में शुरू हुआ। प्राचीन काल में छत्तीसगढ़ ‘दक्षिण कोशल’ के नाम से जाना जाता था। ऐतिहासिक शिलालेख, साहित्यिक और विदेशी यात्रियों के लेखों के अनुसार, इस क्षेत्र का नाम पहले दक्षिण कोशल था। हालांकि आधिकारिक दस्तावेज में ‘छत्तीसगढ़’ का प्रथम प्रयोग 1795 में किया गया था।
बता दें कि छत्तीसगढ़ शब्द के अस्तित्व में आने को लेकर इतिहासकारों में कोई एक मत नहीं है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि कलचुरी काल में आधिकारिक रूप से छत्तीसगढ़ 36 गढ़ों में बंटा था और ये गढ़ एक आधिकारिक इकाई थे, ना कि किले। इन्हीं ’36 गढ़ों’ के चलते दक्षिण कोशल का नाम ‘छत्तीसगढ़’ पड़ा।
18-18 गढ़ उत्तर और दक्षिण में बनाए गए
बता दें कि 18 गढ़ और दक्षिण में रायपुर शाखा के अंतर्गत 18 गढ़ बनाए थे। ये गढ़ शिवनाथ नदी के उत्तर में कल्चुरियों की रतनपुर शाखा के अंतर्गत बनाए गए थे।
रतनपुर राज्य के अधीनस्थ 18 गढ़ों के नाम इस प्रकार है
रतनपुर, विजयपुर, पंडर भट्टा, पेंड्रा, केन्दा, बिलासपुर, खरौद, मदनपुर (चांपा), कोटगढ़, कोसगई (छुरी), लाफागढ़ (चैतुरगढ़), उपरोड़ागढ़, मातिनगढ़, करकट्टी-कंड्री, मारो, नवागढ़, सेमरिया।
रायपुर के अधीनस्थ 18 गढ़ों के नाम इस प्रकार है
रायपुर, सिमगा, ओमेरा, राजिम, फिंगेश्वर, लवन, पाटन, दुर्ग, सारधा, सिरसा, अकलबाड़ा, मोहंदी, खल्लारी, सिरपुर, सुअरमार, सिंगारपुर, टैंगनागढ़, सिंघनगढ़ थे।
जानें छत्तीसगढ़ का इतिहास
छत्तीसगढ़ प्राचीनकाल के दक्षिण कोसल का एक हिस्सा है और पहले इसकी राजधानी सिरपुर थी। वहीं इसका इतिहास पौराणिक काल के दौरान की है। पौराणिक काल का ‘कोशल’ प्रदेश, कालान्तर में ‘उत्तर कोशल’ और ‘दक्षिण कोशल’ नाम से दो भागों में बंटा था। दरअसल, पहले जो ‘दक्षिण कोशल’ था वो वर्तमान में छत्तीसगढ़ कहलाता है।
वहीं दक्षिण-कौसल के नाम से प्रसिद्ध इस प्रदेश में प्राचीन काल में मौर्या, सातवाहन, वकाटक, गुप्त, राजर्षितुल्य कुल, शरभपुरीय वंश, सोमवंशी, नल वंशी, कलचुरी का शासन था। साथ ही क्षेत्रीय राजवंश का भी शासन था। इन क्षेत्रीय राजवंशों बस्तर के नल और नाग वंश, कांकेर के सोमवंशी और कवर्धा के फणि-नाग वंश मुख्य थे।
राज्य के अस्तित्व में आने के समय समय बने थे 16 जिले
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत 1 नवंबर, 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई। छत्तीसगढ़ देश का 26वां राज्य बना। छत्तीसगढ़ का निर्माण मध्यप्रदेश के तीन संभाग रायपुर, बिलासपुर और बस्तर के 16 जिलों, 96 तहसीलों और 146 विकासखंडों से किया गया। वहीं प्रदेश की राजधानी रायपुर को बनाया गया था और बिलासपुर में उच्च न्यायालय की स्थापना की गई थी।
छत्तीसगढ़ के जिले
इस राज्य की स्थापना के समय इसमें 16 जिले थे जो वर्तमान समय में बढ़कर 33 हो गए हैं। ये सभी 33 जनपद 5 संभागों के अंतर्गत शामिल किये गए हैं। दरअसल, गठन के बाद 1 मई, 2007 को 2 नए जिलों का गठन किया गया। इसके लगभग 5 साल बाद 1 जनवरी, 2012 को इस राज्य में फिर से 9 जिले बनाये गए। जिसके बाद इनकी संख्या 27 हो गयी। इसके बाद सितंबर 2022 में 5 नए जिलों का गठन किया गया जिसके बाद इनकी कुल संख्या 33 पहुंच गयी।