जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर में एक आवेदक द्वारा अपने मकान के मरम्मत हेतु पूर्व एसडीएम व तहसीलदार महोदया के समक्ष बार-बार आवेदन प्रस्तुत किया था। परंतु पूर्व एसडीएम व तहसीलदार महोदया द्वारा आवेदक के आवेदन पर कोई कार्यवाही नहीं किया गया। जिसके बाद आवेदक श्रीमान् सरगुजा संभाग आयुक्त के पास अपने फरियाद को लेकर अम्बिकापुर में उपस्थित हुए थे। तत्पश्चात श्रीमान् आयुक्त के द्वारा सुखाचार अधिनियम के अन्तर्गत कार्यवाही करने के लिए तहसीलदार महोदया को दिनांक 13/06/2024 को निर्देश दिये। सोचने वाली बात है कि, श्रीमान् आयुक्त के उस आदेश को भी नजर अंदाज कर दिया गया।
बता दें कि, श्रीमान् आयुक्त के निर्देश पत्र को लेकर आवेदक ने तहसीलदार जी के समक्ष निवेदन किया गया, जिसके बाद नायब तहसीलदार, आरआई एवं पटवारी द्वारा मकान का जांच किया गया। परंतु न ही जांच प्रतिवेदन दिया गया और न हीं कोई निष्कर्ष निकला।
जानकार सूत्र बताते है कि, अधिकारियों ने अनावेदक से पैसे लिए थे। इसलिए आवेदक के निवेदन पर लापरवाही किया जा रहा है। लोगों में चर्चा का विषय है कि, तहसीलदार बिना पैसे लिए कोई कार्यवाही या न्याय नहीं करती, क्योंकि तहसील में लगभग 10-15 वर्षों से पूराने बाबू टिके हुए है। बताया जा रहा है कि, तहसील कार्यालय में तहसीलदार से ज्यादा बाबूओं की चलती है। क्योंकि बाबूओं के सांठ-गांठ मंत्रियों से है। लोगों का कहना है कि, जिसकी सत्ता आती है उसी के साथ बाबू हो जाते है।
मिली जानकारी के अनुसार, तहसील के बाबू आज करोड़ों के आसामी हो चुके है। बता दें कि, पूर्व में एक बाबू की शिकायत टीएल मीटिंग में भी किया जा चुका है, जिसमें बाबू द्वारा तीन हजार रूपए लेने के बाद काम नहीं करने का आरोप लगा था परंतु उस पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुआ। अब देखना यह है कि, कलेक्टर महोदया इसको संज्ञान में लेती है या नहीं ?