हर साल नवरात्रि पर्व के समापन के साथ ही बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में दशहरा पर्व मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल विजयादशमी पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि मनाई जाती है। यही कारण है कि इसे विजयादशमी भी कहा जाता है।
दुर्गा पूजन के 10वें दिन मनाई जाने वाली विजयादशमी को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस बार 12 अक्तूबर 2024 को विजयादशमी है, जिसे दशहरा भी कहते हैं। इस दिन भगवान राम और मां दुर्गा की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर राक्षस का वध किया था, और इसी दिन प्रभु श्री राम ने लंका के राजा रावण का भी वध किया था। इसलिए इसे विजयादशमी कहा जाता है, क्योंकि इसका अर्थ है ‘विजय का दसवां दिन’।
इस दिन देशभर में जगह-जगह रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों का दहन किया जाता है। साथ ही मंदिरों व पंडालों में धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन होता है। इस दिन शस्त्रों की पूजा भी की जाती हैं। माना जाता है कि रावण का वध करने से पहले प्रभु श्री राम ने शस्त्रों की पूजा की थी। इस साल विजयादशमी पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं। ऐसे में शस्त्र पूजन करना और भी लाभकारी माना जा रहा है।
शस्त्र पूजन मुहूर्त
दशहरा के दिन कई जगहों पर शस्त्र पूजा करने का भी विधान है। दशहरा के दिन शस्त्र पूजा विजय मुहूर्त में की जाती है। इस साल दशहरा पूजन के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 2:02 मिनट से शुरू होगा, जो दोपहर 2: 48 तक रहेगा। मुहूर्त की कुल अवधि लगभग 46 मिनट तक रहेगी।
दशहरे पर 4 दुर्लभ संयोग
विजयदशमी के दिन श्रवण नक्षत्र का होना बहुत शुभ होता है, और इस साल इसका संयोग बन रहा है। श्रवण नक्षत्र 12 अक्तूबर को सुबह 5:25 मिनट से प्रारंभ होकर 13 अक्तूबर को सुबह 4:27 मिनट पर समाप्त हो रहा है। इसके साथ ही कुंभ राशि में शनि शश राजयोग, शुक्र और बुध लक्ष्मी नारायण योग के साथ शुक्र मालव्य नामक राजयोग का निर्माण कर रहे हैं।
रावण दहन मुहूर्त 2024
इस साल दशहरा पर रावण दहन मुहूर्त शाम 5 बजकर 54 मिनट के बाद से शुरू हो रहा है। ये शुभ मुहूर्त लगभग ढाई घंटे तक रहेगा। इस अवधि में आप रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों का दहन कर सकते हैं।
पूजन विधि
- दशहरे के दिन सुबह जल्दी उठकर, नहा-धोकर साफ कपड़े पहने और गेहूं या चूने से दशहरे की प्रतिमा बनाएं।
- गाय के गोबर से 9 गोले व 2 कटोरियां बनाकर, एक कटोरी में सिक्के और दूसरी कटोरी में रोली, चावल, जौ व फल रखें।
- अब प्रतिमा को केले, जौ, गुड़ और मूली अर्पित करें। यदि बहीखातों या शस्त्रों की पूजा कर रहे हैं तो उन पर भी ये सामग्री जरूर अर्पित करें।
- इसके बाद अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा करें और गरीबों को भोजन कराएं।
- रावण दहन के बाद शमी वृक्ष की पत्ती अपने परिजनों को दें।
- अंत में अपने बड़े-बुजुर्गों के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।
क्यों मनाते हैं विजयादशमी
दशहरा के दिन भगवान राम ने रावण का वध कर युद्ध में जीत हासिल की थी। इस पर्व को असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में भी मनाया जाता है। दशहरा पर्व हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था, इसलिए भी शारदीय नवरात्र की दशमी तिथि को ये उत्सव मनाया जाता है। कई जगह पर इस दिन मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन भी किया जाता है।