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शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा, हर मुराद होगी पूरी……………

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शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन की अधिष्ठात्री देवी हैं मां महागौरी। इनका नाम महागौरी इनके ’गौर’ (गोरा) वर्ण के कारण है। नारद के कहने पर इन्होंने भगवान महादेव से विवाह करने का संकल्प लिया था। इसके लिए इन्होंने कठोर तपस्या की। नवरात्रि के आठवें दिन को महाष्टमी या दुर्गा अष्टमी भी कहा जाता है। वह भगवान शिव की अर्धांगिनी है, इसलिए  उनकी उपासना से महादेव का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। इस दौरान कुछ लोग कन्या पूजन भी करते हैं। मान्यताओं के अनुसार कन्या पूजन करने से परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है। साथ ही साधक पर मां दुर्गा की कृपा बनी रहती है। इस दौरान देवी की पूजा में आरती करना अति शुभ होता है। इससे पूजा का संपूर्ण फल मिलता है।

मां महागौरी का स्वरूप 

इस कठोर तपस्या के फलस्वरूप इनका रंग काला हो गया। जब भगवान महादेव तपस्या से प्रसन्न होकर वर देने आए तब गंगाजल से धोकर पार्वती जी के शरीर की कालिमा समाप्त की। तुलसीदास जी ने अपनी रचना में पार्वती की तपस्या का उल्लेख किया है। इनके गोरा रंग की तुलना शंख और चन्द्रमा से की जाती है।

किशोरी अवस्था में माता वेश्वेत वस्त्र धारण करती थी। इनकी चार भुजाएं हैं। दाहिनी तरफ ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में और नीचे वाला हाथ त्रिशूल पकड़े हुए है। ऊपरवाले बाएं हाथ मे डमरू और नीचे वाला अभय मुद्रा में है। इनका वाहन वृषभ है।

महागौरी की पूजा के लाभ 

महागौरी उपासना श्रेष्ठ फलदायिनी है। इनकी उपासना से सारे ताप और कलुषता समाप्त हो जाते हैं। यहां तक कि जन्म जन्मांतर से संचित पाप समाप्त होते हैं। इसके साथ ही आने वाले पापों के पहले से नष्ट हो जाने की संभावना बनती है। अक्षय पुण्यों का उदय होता है। मन से की गई पूजा का देवी की तरफ़ से अपार फल देनेवाला होता है। इनकी शरणागति हमारे लिए सत्त का द्वार खोलता है।

महागौरी पूजा मंत्र 

श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

महागौरी की आरती

जय महागौरी जगत की माया ।
जय उमा भवानी जय महामाया ॥
हरिद्वार कनखल के पासा ।
महागौरी तेरा वहा निवास ॥
चंदेर्काली और ममता अम्बे
जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे ॥
भीमा देवी विमला माता
कोशकी देवी जग विखियाता ॥
हिमाचल के घर गोरी रूप तेरा
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा ॥
सती ‘सत’ हवं कुंड मै था जलाया
उसी धुएं ने रूप काली बनाया ॥
बना धर्म सिंह जो सवारी मै आया
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया ॥
तभी मां ने महागौरी नाम पाया
शरण आने वाले का संकट मिटाया ॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता
माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता ॥                                                                                 ‘चमन’ बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो
महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो ॥

 

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