जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर में राजस्व विभाग का एक-से-एक करिश्मा देखने को मिल रहा है। जिसमें देखने को मिला है कि, तालाब को कृषि भूमि बना दिया गया। सुप्रिम व हाई कोर्ट के आदेशानुसार तालाब को भाटना या मिटा देना एक अपराध की श्रेणी में आता है। जो कि भू-माफियों के द्वारा तालाब को भाटा गया और तालाब में सैकड़ो हरे-भरे सागौन व हर्रा के पेड़ थे यह किसके दिशा निर्देश पर काटा गया ? और किसके निर्देश पर तालाब को कृषि भूमि में परिवर्तित कर दिया गया ?
बता दें कि, डायवर्सन के तीन रूप होते है आवासीय, व्यवसायीक और ट्रस्ट डायवर्सन। अब देखना यह है कि, भू-माफियों ने अपना दिमाक कहां तक चलाया है। देखा जा सकता है कि, तालाब में सरकारी बैंके भी खुली हुई है, जो कि नियम अनुसार अवैध है। आवेदक द्वारा तालाब के संबंध में प्रथम दृष्टि शिकायत किया गया है जिसमें कलेक्टर महोदया जी ने एक कमेटी बनाया है फिर भी तालाब में निर्माण कार्य नहीं रूका हुआ है इससे जांच कमेटी की धज्जियां उठ रही है।
लोगों का कहना है कि, अगर कभी भी निर्माण की स्थिति को लेकर विवाद उत्पन्न होता है तो इसका पूरा जिम्मेदार राजस्व विभाग होगा। साथ ही जांच कमेटी द्वारा डायवर्सन पर ध्यान दें कि, किस प्रकार का डायवर्सन हुआ है। बता दें कि, मूल स्थिति तालाब है। कृषि भूमि नहीं । कृप्या कलेक्टर महोदया इस पर ध्यान दें।
लोगों का कहना है कि, जांच कमेटी कहीं पैसे का लेने-देन करके हो सकता है कि, साक्ष्य छिपाया भी जा सकता हैं। यदि साक्ष्य छिपाया गया तो आवेदक उच्च न्यायालय के शरण में जाना उचित समझेगा।