जशपुर हरे-भरे घने जंगलों से घिरा हुआ है, जिसमें वन विभाग के 9 रेंजर आते है। बताया जाता है कि, पूर्व में आशा मिंज तीन-तीन रेंजरों को सम्भालती थी। जिसमें मनोरा, जशपुर और कुनकुरी वन विभाग आता है। जानकार सूत्र बताते है कि, उनके द्वारा पूर्व में कोई भी काम नहीं कराया गया। चर्चा का विषय है कि, आशा मिंज पूर्व में फर्जी काम दिखाकर फर्जी बिल बनाकर पैसे निकालने का कार्य करती थी। सोचने वाली बात है कि, एक महिला होकर ऐसी अशोभनीय कार्य करती थी।
मिली जानकारी के अनुसार, वन विभाग कुनकुरी रेंज के रेस्ट हाउस की बुरी दुर्दशा देखने को मिल रही है। बताया जा रहा है कि, पूरा रेस्ट हाउस ही जल मग्न हो चुका है। दरवाजों का इतना बुरा हाल है कि, दरवाजा लगते ही नहीं है। इसी प्रकार तपकरा का भी जगह-जगह रेस्ट हाउसों में पानी टपक रहा है, परंतु डीएफओ ने अपने नाक के नीचे रेस्ट हाउस में रूमों के ऊपर सिट लगवाकर अपना बचाव किये हुए है। साथ ही रंग पेंट करवाकर उसको चमका दिया गया है।
जानकार सूत्र बताते है कि, जितने भी जशपुर डिविजन में डिप्टी रेंजर व रेंजर है केवल वन विभाग से पैसा निकालने का ही कार्य करते है। जशपुर के वन विभागों का बहुत बुरा हाल है। यहां तक कि, रेंजर आॅफिसों में घास व गंदगी से भरमार हो चुका है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि, जब मुख्यमंत्री के क्षेत्र में यह हाल है तो छत्तीसगढ़ के दूसरे डिविजनो में क्या हाल होगा ?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, रेंजर अपने-अपने को चैकीदार के पद पर रखकर काम करा रहे है जबकि चैकीदार का कोई काम ही नहीं है एक रेंज आॅफिस में देखा जाये तो लगभग चार-पांच चैकीदार देखे जा सकते है। जिसमें परिवार व पहचान के लोगों को रखे हुए है। जो कि वन विभाग के लिए बोझ है। लोगों में चर्चाऐं है कि, ये सब डीएफओ और एसडीओ के मिलीभगत से सब काम हो रहा है। ये सभी जांच का विषय है।