बैकुण्ठपुर मुख्यालय में भू-माफियों का राज चल रहा। बताया जा रहा है कि, भू-माफियों, आरआई व पटवारी द्वारा जमीनों की हेरा-फेरी किया जा रहा। लोगों में चर्चाऐं है कि, आरआई व पटवारी किसी के जमीन को किसी और के नाम चढ़ा देते है। बता दें कि, ये भू-माफिया कोई कमजोर व नंगा नहीं, न कोई ऐसे-वैसे हस्तियां है, अपितु करोड़ों के आसामी है। जो कि सत्ता धारियों को भी धौस देते है।
बैकुण्ठपुर कोरिया भू-माफियों का एक शहर बन चुका है। ऐसे बड़े-बड़े भू-माफिया जेल काट कर भी आ जाते है फिर भी उनको सत्ता का मंच मिल जाता है। बता दें कि, बाईसागर तालाब कोई छोटा-मोटा जगह नहीं, लगभग 6 एकड़ का तालाब था। जिसमें सैकड़ो सागौन के वृक्ष लगे हुए थे साथ ही आस-पास के जीव-जानवरों के पानी पीने के लिए बनाया गया था। जिसे प्रशासन, आरआई, पटवारी व भू-माफियों द्वारा भाट दिया गया। आज उस जगह पर बड़ी-बड़ी बिल्डिंग खड़ी कर दिया गया है। सोचने वाली बात यह है कि, पूरा कोरिया प्रशासन इन भू-माफियों के नतमस्तक कैसे हुआ ? जबकि बाईसागर तालाब का कागज एसडीएम, तहसीलदार, आरआई व पटवारी के हाथ से गुजरा। इससे प्रतीत होता है कि, बाईसागर तालाब को कृषि भूमि बनाने में भू-माफियों का बहुत बड़ा योगदान रहा।
लोगों में चर्चाऐं है कि, प्रशासन, आरआई व पटवारी के ऊपर सभी लोग इतना भरोसा करते है कि, उसी भरोसे पर आरआई व पटवारी किसी के जमीन से पेड़ों को भी विलुप्त कर देते है। इस संबंध को लेकर कानून के ज्ञाता व अनुभवि वर्तमान कलेक्टर महोदया जी के हाथ में बाईसागर तालाब के सम्पूर्ण कागजात को सौंपा गया है। अब देखना यह है कि, महोदया जी इस पर क्या संज्ञान लेती है ?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, भू-माफियों के पास लगभग 400-500 एकड़ जमीन कोरिया जिले के अंदर खरीदा गया है। ऐसा कोई भी ग्राम बचा नहीं, जहां भू-माफियों का जमीन न हो। ये अपने सत्ता, पैसे व गुंडागर्दी के दबाव में तालाब को विलुप्त कर दिये। कुछ लोगों के द्वारा तालाब को खरीद कर बेचा भी गया है।
इधर शासन व प्रशासन ‘‘एक पौधा मां के नाम’’ का अभियान चला रही है वही बाईसागर तालाब में सैकड़ों के सागौन के पेड़ काटे गये, ये किसके दिशा निर्देश से काटे गये। इस पर जांच व कार्यवाही नहीं की गयी। क्योंकि भू-माफियों के साथ कुछ आसामाजिकतत्व है जो कि आवाज उठाने वाले को दबाव में रखते है।
इस संबंध को लेकर कोरिया कलेक्टर महोदया जी को लगभग तीन-चार बार अवगत कराया जा चुका है परंतु अभी तक संज्ञान में नहीं लिया गया है। क्या कलेक्टर महोदया हाई कोर्ट का इंतजार तो नहीं कर रही ? क्योंकि सभी कागजात कलेक्टर व एसडीएम को भेजे जा चुके है।
बैकुण्ठपुर मुख्यालय के कार्यालयों को जांच की जाये तो देखा जा सकता है कि, कितने फर्जी बिल बनाकर पैसे निकाले व कितने धोखा-धड़ी करके मकान, जमीनों में हेरा-फेरी व आय से ज्यादा पैसे देखने को मिल सकता है। इसकी विस्तार से जानकारी आगे दिया जायेगा।