सरगुजा संभाग में छः जिले आते है जबकि संभाग पांच जिले का माना जाता है। आयुक्त द्वारा छः जिले को अकेले संभाला जा रहा है। परंतु कलेक्टर द्वारा एक ब्लाॅक को भी नहीं देख पाते। बता दें कि, आयुक्त का समय-समय पर सभी जिलों का दौरा होता रहता है। और आयुक्त अपने कार्य के प्रति दक्ष है। जब कोई भी व्यक्ति आयुक्त से मिलने जाते है तो उनसे अच्छे स्वभाव व अच्छे विचारधाराओं से मिलते है। और शिकायतों को भी सुनते है। पर बैकुण्ठपुर जिले के प्रशासन की स्थिति चरमराई हुई है। वही आयुक्त के आदशों का पालन तहसीलदार द्वारा नहीं किया जा रहा है। तो इसको क्या कहा जाये ?
बता दें कि, दिनांक 13/06/2024 को सरगुजा संभाग आयुक्त द्वारा तहसीलदार को आदेश दिया गया था परंतु आज दिनांक 27/07/2024 तक कोई कार्यवाही नहीं किया गया। जानकार सूत्र बताते है कि, तहसील में पैसा काम करता है आदमी काम नहीं करता। अभी पैसा फेको तो तुरंत काम हो जायेगा। बताया जाता है कि, तहसील कार्यालय में बाबूओं की तानाशाही करना व पैसा वसूलना एकमात्र धंधा बन गया है। इस संबंध को लेकर एस.डी.एम. महोदया जी को भी बार-बार अवगत कराया जा चुका है, फिर भी तहसीलदार को कोई भी फर्क नहीं पड़ता।
जानकार सूत्र बताते है कि, आर.आई. और पटवारी को जो पैसा देता है उसी के फेवर में रिपोर्ट बनाते है। लोगों में चर्चा है कि, शिवकुमार (आर.आई.) के द्वारा आवेदक के ऊपर ध्यान न देकर अनावेदक के पैसे को लेकर काम कर रहे है। इस विषय पर बार-बार लिखा जा रहा, फिर भी कोई भी फर्क नहीं पड़ रहा, न कोई कार्यवाही हो रही।
लोगों में चर्चा है कि, तहसीलदार के बाबू (अमृता गुप्ता) के भ्रष्टाचारी से बनी दो मंजिल मकान भांडी में देखा जा सकता है क्या ये जानकारी अपने विभाग को अवगत कराया गया है या नहीं करया गया। लोगों में तरह-तरह की बाते सुनने को मिल रही है कि, एक आदिवासी बीरन सिंह के द्वारा बाबू को काम के बदले पैसा दिया गया था फिर भी उस काम को दरकिनार कर दिया गया। उस बाबू के ऊपर कोेई भी कार्यवाही क्यों नहीं किया गया ? इस संबंध में सरगुजा आयुक्त को भी लिखा जा रहा है कि, भ्रष्टाचारियों को प्रशासन शरण दे रहा है। क्या इस भ्रष्टाचारी में नेता का दबाव है या पैसों का खेल ? ऐसे ही कार्य चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब जिला बर्बाद हो जायेगा।