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बैकुण्ठपुर/कोरिया : जिला अस्पताल में फर्जी तरीके से कर रहे है नौकरी ?……………….

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बैकुण्ठपुर मुख्यालय के जिला अस्पताल में नये-नये चोचले देखने को मिल रहा है। बताया जा रहा है कि, जिला अस्पताल में जीवन दीप के नाम से न कोई विज्ञापन अखबारों में छपी न किसी प्रकार की भर्ती स्थान के लिए सूचना दिया गया था। तो सोचने वाली बात है कि, जिला अस्पताल में कैसे भर्ती हूई ? लोगों द्वारा बताया जाता है कि, गौतम परिवार का जिला चिकित्सालय में दबदबा है। लोगों में चर्चा ये भी है कि, गौतम परिवार जिला अस्पताल में दबाव व चापलूसी करके अपने परिवार वालों को फर्जी तरीके से नौकरी दिलाया है। यहां तक कि, उनका विकलांग सर्टिफिकेट भी फर्जी बताया जा रहा है।

बता दें कि, पूर्व में जिला चिकित्सालय में कानों का कोई डाॅक्टर नहीं था फिर भी विकलांग सर्टिफिकेट व डिग्री कैसे बनी और कहां से बनवाया गया ? सोचने व देखने वाली बात है कि, उसी विभाग में मैडम को कैसे रखा गया ? जानकार सूत्र बताते है कि, गौतम परिवार ने जिला चिकित्सालय को धर्मशाला बनाकर रखा हुआ है। लोगों में चर्चा है कि, जो शासकीय सामान आते है उन्हें वह घर ले जाते है।

बताया जा रहा है कि, जो विकलांग बोर्ड बनाया गया है उसमें फर्जी सर्टिफिकेट बनाये जाते है। वही डाॅ. अरबों की जमीन बैकुण्ठपुर में खरीदें हुए है। सोचने वाली बात है कि, ये पैसा आया कहां से ? क्या अपने विभाग को अपनी सम्पत्ति की जानकारी दिया है या विभाग को अंधकार में रखा हुआ है। अब सवाल ये उठता है कि, कलेक्टर के नाक के नीचे इतना बड़ा घोटाला हो रहा है जो कि विकलांक सर्टिफिकेट भी फर्जी और स्वास्थ्य विभाग में नौकरी लगा रहे है। उस पर क्या कदम उठाते है ?

मिली जानकारी के अनुसार, गौतम बंधुओं का अपना पैतृक चिकित्सालय है जिसमें वह अपने मनमर्जी कार्य कर रहे है। वही आज देखा जाये तो जिस चिकित्सालय में कोई भी नौकरी कर रहा है वह अपने परिवार में से किसी को भी अवश्य अवैध तरीके से रखा हुआ है। जानकार सूत्र बताते है कि, जीवन दीप का बाबू अरबों का मालिक बन चुका है। क्या प्रशासन ऐसे भ्रष्टाचार लोगों के ऊपर जांच कर कार्यवाही करेगा या नहीं ? लोगों में तरह-तरह की चर्चाऐं है कि, पूरा गौतम परिवार जिला चिकित्सालय पर हावी है। कारण यही है कि, सभी इसी टाईप के लोग चिकित्सालय में मिलेंगे, तो किसको बताये।

जानकार सूत्र बताते है कि, जिला चिकित्सालय से डाॅक्टर मरीजों को अपने प्राइवेट इलाज के लिए अपने घर ले जाते है और दोष सरकार को देते है कि, सरकारी दवाईयाँ काम नहीं करती। बताया जाता है कि, शासन द्वारा दी गयी मशीनों पर भी धूल जम रही है। लोगों में चर्चा है कि, मरीजों के लिए खाने में भी अच्छी चालव, दाल और सब्जी नहीं दिया जा रहा। पूरी तरीके से जिला चिकित्सालय की स्थिति चरमरा गई है शासन इस पर ध्यान दें।

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