छत्तीसगढ़ में आर.आई एवं पटवारी आये दिन किसी-न-किसी काम को लेकर हडताल लगाकर मांगों को रखते रहते है। लोगों में चर्चा है कि, ये दोनों समाज व जनता के प्रबल विरोधी है। बताया जाता है कि, ये दोनों पैसो के लिए कुछ भी कर सकते है। जैसे- शासकीय जमीन को प्राइवेट के नाम कर देना, जमीन घटाना या बढ़ाना, आय, जाति और निवासों में पैसा लेना, तलाब के निस्तार को भाट कर उस भूमि के कागज को खत्म कर देना, हरे-भरे वृक्ष को रजिस्ट्री से हटाना इत्यादि।
बता दें कि, शासन-प्रशासन भी इन्हीं के रिपोर्ट को मानते है इसलिए हमारे समाज को इस पर आवाज उठाना अति आवश्यक है। जानकार सूत्र बताते है कि, आज ये दोनों शासकीय जमीनों को अपने नाम एवं अपने परिवार के नाम नामांतरण किये हुए है। इनके द्वारा रोड की जमीनों को एवं छोटे झाड की जमीनों को भी विलुप्त करते रहते है।
वही लोगों का कहना है कि, पटवारी एवं आर.आई. की सम्पत्ति पर सीमा रखी जाये एवं इनकी जांच की जाये कि, इनके पास आये से अधिक सम्पत्ति कहां से आयी ? इनके कारनामों को लेकर लोगों में तरह-तरह की चर्चाऐं हो रही है, इसलिए ये दोनों समाज के दुश्मन बन कर रह गये है। इन सभी बिन्दुओं को देखते हुए शासन-प्रशासन इनकी मांगों को नजर-अंदाज करें।