छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव को एक साल भी नही हुआ, परंतु देखने को यह मिल रहा है कि, पूर्व से ही पत्रकार विधायक के प्रतिनिधि बनते चले आ रहे है। बताया जाता है कि, विधायक प्रतिनिधि बनने के बाद इनके लिए करोड़ो का आसामी बनना आम बात हो चुकी है। जानकार सूत्र बताते है कि, पूर्व विधायक के प्रतिनिधि जो बने थे वही करोड़ों में खेल रहे थे। इसी प्रकार ऐसे ही छत्तीसगढ़ में देखा जाये तो प्रतिनिधि करोड़ों में आज भी खेल रहे है, जिनके पास कुछ भी नही था आज वही लोग गाड़ियों को ऐसे बदल रहे है जैसे कि कपड़ा हो।
लोगों में चर्चा है कि, पूर्व विधायक का एक व्यक्ति प्रतिनिधि बना था। आज देखने को मिल रहा है कि, वह व्यक्ति करोड़ो का आसामी बन चुका है। बताया जाता है कि, जिसको एक हजार रूपये के लिए सोचना पड़ता था, वही व्यक्ति आज लगभग दो-तीन मकान, लाखों की महंगी कार व दूकाने खोले हुए है। लोगों में तरह-तरह की चर्चाऐं है कि, साल भी नही गुजरा और विधायक प्रतिनिधि लगभग बीस-पच्चीस करोड़ के आसामी बन गये है।
मिली जानकारी के अनुसार, अधिकारी भी ऐसे प्रतिनिधियों से त्रस्त हो चुके है, जबकि जिले का मुखिया कलेक्टर होता है उसके बावजूद भी विधायक स्वतंत्र रूप से कलेक्टर को काम नहीं करने देते। बताया जाता है कि, विधायक अपना दबाव कलेक्टर के ऊपर रखते है। लोगों में चर्चा है कि, एक विधानसभा का विधायक कलेक्टर के ऊपर अपना दबाव बनाता हो तो जिला कभी-भी स्वतंत्र रूप से कार्य करने में सक्षम नहीं होता और राजनितिक पार्टी भी कमजोर हो जाती है।
लोगों में चर्चा है कि, विधायक प्रतिनिधि जब लगभग 8-9 महीने में करोड़ो रूपये निकाल लेते है तो अभी तो चार साल और बाकी है। तो इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि, मंत्री भी करोड़ो के आसामी बना लिए होंगे क्योंकि उनके पास तो अनेको दलाल होते है।
इस संबंध को लेकर छत्तीसगढ़ प्रभारी को भी अवगत कराया जा चुका है कि, इसी प्रकार कांग्रेस पार्टी के समय में भी यही हाल रहा जिससे कांग्रेस पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा। अब विधायकों को किसी सत्ताधारी नेताओं की कोई जरूरत नहीं है। इनको न तो जिले के अध्यक्ष से कोई मतलब है न तो जिले के किसी संगठन से। इनके पास वसूली का एक सूत्रीय कालम जारी हो गया है।
मिली जानकारी के अनुसार, ज्यादातर पत्रकार ही पूर्व से लेकर अभी तक प्रतिनिधि में नजर आ रहे है। यहां तक कि, कांग्रेसियों ने भी अपना स्वार्थ बी.जे.पी. से साधना चालू कर दिया है। पूर्व से देखा जा रहा है जिन विधायकों के घर के छानी में चैबीस हजार खप्पर नहीं रहता था आज वही विधायक बनने के बाद में इनोवा से नीचे के कार में नहीं चढ़ रहे। बीजेपी पार्टी में विधायक ऐसे भी है जो पल्लेदारी, रिक्शाचालक रह चुके है आज इनकी शान-शौकत देखा जाये तो एकदम बदल गया है। आज वही व्यक्ति अपने से बड़ो का सम्मान नहीं करते। वो अपने को सर्वे-सर्वा मालिक समझकर जनता का दोहन कर रहे है। वही विधायक के सहायक व मोबाईल उठाने वाले जो अपने को पीए बोलते है उनके भी दिन चमक गये है ऐसे विधायको से जनता निवेदन करते-करते थक चुकी है।
देखा जा रहा है कि, जनता पूर्व विधायक से भी प्रताड़ित थी और वर्तमान विधायक से भी प्रताड़ित है। सोचने वाली बात है कि, जनता जनार्दन का प्यार और आशीर्वाद जिस विधायक को मिला वह विधायक जमीन पर पैर नही रख पा रहे है विधायको को सोचना चाहिए कि, जिस जनता जनार्दन ने यहां तक पहुंचाया है उन जनता के आवाज को सुनना भी चाहिए, परंतु विधायक जोश में होश गवा चुके है। यह जांच का विषय है कि, विधायक प्रतिनिधि के पास आज करोड़ो रूपये आया कहां से ? इनकी शान-शौकत किसी राजा से कम नहीं। किसी का स्थानांतरण कराना है या कोई भ्रष्टाचारी में फंसा हुआ है उसको मुक्त करना है ये सभी प्रतिनिधि देख रहे है। जितना पैसे का वजन रहता है उतना ही काम हो रहा है। जिन व्यक्तियों ने पूर्व से अभी तक विधायक के लिए नीचे से ऊपर तक संघर्ष किया था सभी छत्तीसगढ़ वासियों को मालूम होना चाहिए। पर फिर भी उन सभी बातो को भूल गये। जब इतने ही ताकतवर होते तो अपने संासद को भी जिता नहीं पाये। स्वयं जिते तो क्या जिते जो कि एक संासद को जिताते तो बात होती। इसलिए कहा जाता है कि, जिस व्यक्ति के द्वारा टिकट से लेकर जिताने तक लाखों रूपये खर्च किया गया वह व्यक्ति आज पूछ-से-बेपूछ हो गया। इसलिए कहावत है कि ‘‘मेहनत करे मुर्गा-अण्डा खाये फकीर’’। जानकार सूत्र बताते है कि, इसकी जानकारी हाई कमान दिल्ली को भेजा गया है। ऐसे लोग ही पार्टी को ले डुबेंगे।