नरसिंहपुर : कलेक्टर श्रीमती शीतला पटले की अध्यक्षता में शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय नरसिंहपुर में मंगलवार को दीक्षारंभ समारोह प्रारंभ हुआ। कलेक्टर ने माँ सरस्वती का पूजन एवं दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम की शुरूआत की। इस दौरान प्रवेशित विद्यार्थियों का तिलक लगाकर स्वागत किया गया।
कलेक्टर श्रीमती पटले ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि यह आपके जीवन की यात्रा की शुरुआत है। इसके पहले आपने स्कूल शिक्षा ग्रहण करने के उपरांत अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण की है। अब यह कॉलेज की यात्रा आपके भावी जीवन को निर्धारित करेगी, क्योंकि आपके द्वारा कैरियर निर्धारण के लिए विषय का चयन इसी उद्देश्य से किया गया है। यह आयोजित कार्यक्रम प्राचार्य, प्रोफेसर, शिक्षकों के लिए सरकारी हो सकता है, लेकिन आप लोगों के लिए यह आपके जीवन का डिसाइडिंग पॉइंट साबित होगा।
कलेक्टर श्रीमती पटले ने अपने प्रेरणादायी उद्बोधन में कहा कि किसी भी कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बनने के लिए व्यक्ति को बहुत संघर्ष और मेहनत करनी पड़ती है। कार्यक्रमों में मोटिवेटर्स आकर अपनी बात कहकर चले जाते हैं, लेकिन आपको उनके द्वारा बतायी गई बातों को सुनकर उसे अपने जीवन को सार्थक बनाने के लिए आत्मसात करना होगा। इसके लिए आपको कॉलेज में नियमित तौर पर समय पर आकर कक्षाओं में कराई जा रही पढ़ाई, प्रोजेक्ट्स को पूर्ण करना होगा। यहाँ शिक्षकों द्वारा दिये जा रहे ज्ञान को ग्रहण करना होगा। आप यह अच्छी तरह से जानते हैं कि सही क्या है और ग़लत क्या है। क्लासेज़ कभी बंक ना करें। यह सभी छोटी- छोटी बातें ही आपको जीवन में अनुशासित रहने, आपकी जिज्ञासा बढ़ाने और आपके व्यक्तित्व निर्माण में काम आएगी।
महाविद्यालय की प्राचार्य ममता शर्मा ने दीक्षारंभ कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने नव प्रवेशित विद्यार्थियों को लगन एवं परिश्रम से अध्ययन करने के लिए कहा। इसके साथ ही उन्होंने विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। विद्यार्थियों को महाविद्यालय के शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक स्टाफ का परिचय दिया। नव प्रवेशित विद्यार्थियों को वरिष्ठ विद्यार्थियों से परिचय कराया। विद्यार्थियों को महाविद्यालय में उपलब्ध खेल के बारे में विस्तार से जानकारी दी और उन्हें खेल के महत्व को समझाया।उन्हें ऐकडेमिक कैलेंडर,स्कॉलरशिप योजनाओं,टाइम टेबल एवं सिलेबस से भी अवगत कराया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. चंद्रशेखर राजहंस और आभार डॉ. अधिकेश राय ने किया।