नरसिंहपुर : राज्य शासन ने निर्णय लिया है कि 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस से लेकर 16 जून गंगा दशहरा तक प्रदेश में बड़े पैमाने पर जल गंगा संवर्धन अभियान चलाया जाये। इस दौरान व्यापक स्तर पर पौधरोपण, स्वच्छता अभियान, रैली, शपथ, संगोष्ठी, श्रमदान आदि के कार्यक्रम आयोजित किये जायें।
राज्य शासन के निर्देशानुसार जिले में जल गंगा संवर्धन अभियान जोर- शोर से चलाया जा रहा है। इस दौरान जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, आम नागरिकों, स्वयं सेवकों, विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों, जनअभियान परिषद और अन्य इस अभियान में अपनी सहभागिता निभा रहे हैं। अभियान के दौरान नन्हे- मुन्ने बच्चे भी लोगों का हौसला बढ़ा रहे हैं। जल गंगा अभियान के तहत तालाब का जीर्णोद्धार, साफ- सफाई, सोकपिट निर्माण आदि के कार्य किये जा रहे हैं।
नन्हे- मुन्ने बच्चों ने जल संरक्षण का दिया संदेश
जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत गाडरवारा के तालाब परिसर में नन्हे- मुन्ने बच्चों द्वारा चित्रकला के माध्यम से आम लोगों को जल संरक्षण का संदेश दिया। उन्होंने प्रेरक स्लोगन लिखकर आम नागरिकों को जल का महत्व बताया। उन्होंने जल बचायें- कल बचायें, पानी बचाओ- कल बचाओ, जल संरक्षण हमारा दायित्व ही नहीं कर्त्तव्य भी है जैसे अनेक स्लोगन के माध्यम से लोगों को जल बचाने, उसका दुरूपयोग रोकने, जल का सदुपयोग करने और जल का संरक्षण करने का संदेश दिया। बच्चों के इन प्रयासों से लोगों में जल के प्रति प्रेरणा भी जागृत हो रही है।
बरसात के पूर्व सोकपिट का हुआ निर्माण
जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत जनपद पंचायत चीचली अंतर्गत ग्राम पंचायत करपगांव में जल संरक्षण की दिशा में कार्य किया गया। बरसात के पूर्व पानी को रोकने व उसका सदुपयोग के उद्देश्य से ग्राम पंचायत द्वारा सोकपिट का निर्माण किया गया। जल के संरक्षण से भूमि का जल स्तर बढ़ेगा। साथ ही पशु- पक्षियों को पीने का पानी भी उपलब्ध होगा।
ग्रामों में हुआ पौधरोपण
नदी, बावड़ियों, तालाबों व बावड़ियों की हो रही लगातार साफ- सफाई
जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत ग्राम पंचायत गर्रा, बरहटा एवं कुम्हड़ाखेड़ा में व्यापक स्तर पर पौधरोपण का कार्य किया गया। इस दौरान लोगों ने कहा कि पौधे जरूर लगायें, क्योंकि पेड़ हमें जिंदगी और ऑक्सीजन देने का काम करते हैं। इस दौरान कई प्रजातियों के पौधों का रोपण किया गया।
जहां एक ओर नागरिकों व जनप्रतिनिधियों द्वारा पौधरोपण किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर बड़े पैमाने पर जल को संरक्षित करने व जल को बचाने के लिए कुओं, बावड़ियों तथा तालाबों का गहरीकरण भी किया जा रहा है। जल को संरक्षित करने के लिए आम नागरिकों ने कुदाली व फावड़ा से तालाब का गहरीकरण किया। इनके इस प्रयासों से अन्य लोगों में भी जल के बचाव के प्रति जागरूकता आ रही है। इन कार्यों में आम नागरिक अपनी स्वैच्छा से शामिल हो रहे हैं और अन्य लोगों को भी जल बचाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
इसके अलावा करेली में प्राचीन नदी कही जाने वाली धमनी नदी में भी साफ- सफाई का कार्य किया जा रहा है। इस दौरान धमनी नदी के सफाई का कार्य किया जा रहा है। नदी की साफ- सफाई को देख आम नागरिकों ने भी इसमें अपनी सहभागिता निभाई।