सूरजपुर लोक निर्माण ई. महादेव लहरे सुर्खियों में छाये हुए है। जानकार सूत्र बताते है कि, उनके द्वारा कल्याण पोर्ते सबइन्जीनियर कुछ दलाल पत्रकार अपनी भ्रष्टाचारी कर्मी को दबाने के लिए उन्होनें एक एजेंसी बनायी है जो कि, सूरजपुर के दलाल पत्रकार के नाम से कहे जाते है। बताया जाता है कि, पत्रकारों को पैसे देकर मुंह बंद करवाया जाता है जिसमें ई. कितना भी रिश्वत ले पर सोशल मीडिया में न दिखाया जाये। लोक निर्माण ई. का नाम महादेव लहरे है। परंतु इनका काम किसी उत्पाद से कम नहीं।
बताया जाता है कि, जैसे पूर्व में महादेव सट्टा में काले कारनामें करते थे उसी प्रकार सूरजपुर के लोक निर्माण ई. कमिशन लेने में माहिर है। मंत्री हो या कलेक्टर उनसे मिलने के लिए लाईन लगाना पड़ता है। किसे मिलना है और किसे नहीं मिलना, वह भली-भांती जानते है क्योंकि उनको केवल कमिशन लेने से मतलब है।
लोगों में चर्चा है कि, प्रशासन कल्याण पोर्ते को वेतन देती है या लोक निर्माण ई. अपने पाॅकिट से वेतन उपयंत्री को देते हैं क्योंकि सूरजपुर में ई. की छवि दबाने के लिए उपयंत्री पैसा बांटता है। क्या ये बात सूरजपुर की जनता जानती है कि, अधिकारी पत्रकार के नाम पर या पत्रकारों को बढ़ावा देने के लिए पैसा देते है ?
जानकार सूत्र बताते है कि, एक जिला ऐसा भी है जिसमें अधिकारी ने अपनी प्रसंशा छापवाने के लिए पत्रकारों को पैसे बांटे है और ऐसा कौन सा जिला है जहां कलेक्टर अपनी प्रसंशा छापवाने के लिए किस-किस पत्रकारों को पैसे दिये है ? यह बड़ी विडम्बना वाली बात है कि, प्रशासन के जिम्मेदार व्यक्ति ही ऐसा करेंगे तो देश का क्या होगा ? ये समझ से परे है एवं लोगों में चर्चा का विषय बन गया है और लोगबाग जानना चाहते है कि, ऐसा कौन सा जिला है जिसमें ऐसा कृत्य हुआ है।