बैकुण्ठपुर मुख्यालय में तेज तर्रार पुलिस अधीक्षक जिनके नाम से ही थाने के अच्छे-अच्छे अधिकारी कांपते है। उनके आते ही जुंआ, सट्टा, गांजा, शराब और कबाड़ का काम टोटल ही बंद हो चुका था। परंतु जानकार सूत्र बता रहे है कि, ऐसे कौन से तंत्र है जो कि पुलिस अधीक्षक को मालूम नहीं कि, मेरे क्षेत्र में कहां-कहां जुंआ, अवैध शराब, गांजा और मर्दक पदार्थ बिक रहे है। पुलिस अधीक्षक के नजर से बचकर यह काम कैसे चालू हुआ ? यह सब पूलिस आरक्षकों के द्वारा धिरे-धिरे सुचारू किया जा रहा है।
सूत्र बताते है कि, ऐेसे कुछ लोग पुलिस विभाग में भी है जो इन मर्दक पदार्थों के बिना खर्चा चलाना दुश्वार हो जाता है। एक कहावत है कि, ‘‘दिये के निचे अंधेला’’। देखना यह है कि, यह लोग पुलिस अधीक्षक को कब तब अंधकार में रखेंगे। जब कोई मामला उजागर होगा तो पूलिस अधीक्षक उस थाने चैकी का बेहाल कर देंगे। क्योंकि पूलिस अधीक्षक को यह सभी मर्दक पदार्थ से नफरत है। ऐसे व्यक्ति बहुत कम पाये जाते है।
पूलिस अधीक्षक बेहद ईमानदार व तेज तर्रार है। उनको ईमानदार व्यक्ति ज्यादातर पसंद है। लोगों के द्वारा कहा जाता है कि, कोई भी व्यक्ति ईमानदारी से जुर्म कबूल लेता है तो उन्हें वह अच्छे लगते है। ऐसा कौन सा स्थान है जहां जूआं और सट्टा नहीं खेला जाता होगा। परंतु पुलिस अधीक्षक के नजरों में नहीं आ रही है। जो कि जानकार सूत्र बताते है कि, रनई में भी जूआं, सट्टा खेला जा रहा है। इसका कारण यह भी है कि, पुलिसकर्मियों की खर्चे निकालने के लिए बेबस होकर गलत गदम उठा लेते है। एक कहावत है कि, ‘‘बंदर कभी भी गुलाठी मारना नहीं छोड़ता’’। यह बात ऐसे पुलिसकर्मी पर लागू होते है जो गलत ढंग से काम करते है और अपने अधिकारियों को गुमराह में रखते है।