लोकसभा चुनाव के बीच राजनेताओं द्वारा सियासी बयानबाजी भी खूब हो रही है। इस समय संपत्ति के बंटवारे को लेकर भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के बीच जुबानी जंग काफी तेज हो चुकी है। चुनाव आयोग ने और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से कथित आचार संहिता उल्लंघन मामले में संज्ञान लिया है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने धर्म, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर नफरत और विभाजन पैदा करने का आरोप लगाया था। आयोग ने 29 अप्रैल की सुबह 11 बजे तक जवाब मांगा है। चुनाव आयोग ने ये नोटिस कांग्रेस और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेजे हैं। चुनाव आयोग ने कहा, अपने प्रत्याशियों के कामों के लिए राजनीतिक दलों को ही पहली जिम्मेदारी उठानी चाहिए। खासतौर पर के मामले में ऊंचे पदों पर बैठे लोगों के चुनावी भाषणों का असर ज्यादा गंभीर होता है। इलेक्शन कमीशन ने जनप्रतिनिधि कानून के सेक्शन 77 के तहत दोनों पार्टियों के अध्यक्षों को नोटिस भेजा। आयोग ने स्टार प्रचारकों की फौज उतारने के लिए पहली नजर में पार्टी अध्यक्षों को ही जिम्मेदार ठहराया है। निर्वाचन आयोग ने प्रधानमंत्री मोदी, राहुल गांधी के खिलाफ के आरोपों को भाजपा, कांग्रेस प्रमुखों के साथ साझा किया और इस पर 29 अप्रैल तक जवाब मांगा है। राजस्थान के बांसवाड़ा में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिए गए भाषण को लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की शिकायत पर निर्वाचन आयोग ने BJP चीफ जेपी नड्डा से जवाब मांगा है। इसने कहा है कि स्टार प्रचारकों को अपने जरिए दिए जाने वाले भाषणों के लिए खुद तो जिम्मेदार होना ही होगा। मगर के मामले में चुनाव आयोग पार्टी के प्रमुखों से हर मामले पर जवाब मांगेगा। आयोग ने कहा है कि, राजनीतिक दलों को अपने उम्मीदवारों, विशेषकर स्टार प्रचारकों के आचरण की प्राथमिक और बढ़ती जिम्मेदारी लेनी होगी। चुनाव आयोग का कहना है कि उच्च पदों पर बैठे लोगों के प्रचार भाषणों के अधिक गंभीर परिणाम होते हैं।