बैकुण्ठपुर के डाॅ. प्रिंस जायसवाल के डिग्री पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है। क्या प्रिंस जायसवाल एम.बी.बी.एस. डाॅक्टर है ? क्या आयुर्वेदिक डिग्री जिनको डोमेस्टिक की उपाधि लिए हुए है ? जो ऐलोपैथिक मुख्य चिकित्सालय में डी.एम.एफ. के पद पर नियुक्ति किया गया है। क्या आयुर्वेदिक डिग्री है तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी में डी.एम.एफ. का पद कैसे संभाला है ? जानकार सूत्र बताते है कि, जायसवाल जी अपने स्वार्थ के लिए कांग्रेस नेताओं से भी संबंध जुड़ा लिए है और बीजेपी में जायसवाल जी के कथानुसार की स्वास्थ्य मंत्री उनके चाचाजी है। जो संविदा पद पर नियुक्त होकर एम.बी.बी.एस. के ऊपर हुकूमत चला रहे है। बैकुण्ठपुर सी.एम.एच.ओ. भी जायसवाल जी के ऊपर नतमस्तक हो गये है। जायसवाल जी के चतुराई की जगह-जगह पर चर्चा का विषय बना हुआ है। जो डिग्री संदेह के दायरे में है। उसके आलावा चतुराई का भरपूर लाभ उठा रहे है। पूर्व में हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी के द्वारा घोटाले की जांच अभी तक नहीं हो पा रही है। क्या किसी के कारणवश रोका गया है और संविदा के व्यक्ति का इतना पकड़ होना बड़ी महानता की बात है। जानकार सूत्र बताते है कि, कुछ दलाल पत्रकार भी उनके साथ संलिप्त है। जिनको संविदा के व्यक्ति द्वारा पत्रकार को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से संविदा व्यक्ति अपने को आई.एस. और आई.पी.एस. से कम नहीं समझ रहा है। बात करने का टेक्निक ऐसा है कि, अच्छे-अच्छे आदमी को लुभा लेता है। सोचने वाली बात है कि, जायसवाल जी का स्थानांतरण कई बार हुआ और स्थानांतरण करने के बाद भी दूसरे को पदभार नहीं देते।