कोरिया जिले में डिप्टी रेंजर को रेंजर का पद भार संभालते हुए वो रेंजर की परिभाषा भूल गया कि, डिप्टी रेंजर का वित्तीय प्रभाव कितने दिन का होता है और कितने वृत्त का होता है पर सोनक डिप्टी रेंजर जो रेंजर के पद पर है, महेश टुंडी है जोकि, विभाग के पैसो पर करोड़ो का आसामी बना है। पर देखने व सुनने वाली बात यह है कि, कोई सम्पत्ति डिप्टी रेंजर अपनी मां के नाम से खरीदी जा सकती है व चार चक्का वाहन तो क्या मां व परिवार का कोई अन्य बिजनेश व सहकारी कर्मचारी है तो वह भी अपने समलित परिवार व रिस्तेदारों का भी पूछने का अधिकार होता है पर डिप्टी रेंजर जोकि, सूत्र बताते है कि, उनके पास चल-अचल सम्पत्ति 50 करोड़ के लगभग बताया जा रहा है। गुरू घासीदास संचालक महोदय इस डिप्टी रेंजर की आय का क्या श्रोत है । ऐसे ही संचालक पार्क भांड़ी में एक कम्प्यूटर ऑपरेटर जोकि, जानकार सूत्र बताते है कि, फर्जी बिलो का बनाने का कार्य उसी का रहता है, क्योंकि रेंजर लोग उसको मोटी रकम देते है, जोकि संचालक का मंूह लगा व्यक्ति बताया जा रहा है । क्या डिप्टी रेंजर अपने विभाग को जितनी जमीनें खरीदी गई है व कार वाहन अपने विभाग से स्वीकृति लिया गया है, और नहीं लिया गया है तो इसका मतलब यह है कि, विभाग के पैसे में डाका डालना । जानकार सूत्र बताते है कि, डिप्टी रेंजर की सीमा 2-4 साल की नहीं होती इनके द्वारा जंगल विभाग में बंद प्राणियों के उपर हत्या का मामला भी प्रकाश में आया था पर डिप्टी रेंजर का निचे से उपर तक सेटिंग है । जानकार सूत्र बताते है कि, बैकुण्ठपुर में 4-5 प्लाट खरीदी गई है और रायपुर, बिलासपुर में भी मकान की खरीदी किया गया है । जानकार सूत्र बताते है कि, इनकी कार्य प्राणाली पर ऊंगली उठााता है या सूचना के अधिकार में जानकारी मांगता है या तो पैसे के बल पर निपटा लेते है या अपनी जाती का उपयोग करके लोगों के उपर थाने में सिकायत करा देते है कि, जातिगत मुझे गाली दिया गया । पूर्व में इस प्रकार का कृत्य किया गया। क्या प्रधान वन रक्षक रायपुर व वन संरक्षक इस पर संज्ञान लेगी । और संज्ञान न लेने का कारण निचे से उपर तक पैसे का बंदरबाट किया जा रहा है । इसकी जानकारी विस्तार से एकत्रित करने के बाद प्रकाशित किया जायेगा ।
डिप्टी रेंजर है या डकैत ?
गुरू घासीदास संचालक महोदय इस डिप्टी रेंजर की आय का क्या श्रोत है ।