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जिनका समाज में सम्मान न हो वो दूसरों को क्या सम्मान देंगे ?

पत्रकारिता के नाम पर शासकीय मद से बोरिंग कराना व धौस देकर किसी शासकीय ऑफिस में अपने परिवार को नौकरी में लगवाना । सूचना के अधिकार में पैसा निकालना इनका मैंन धन्धा है ।

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छत्तीसगढ़ में ऐसे-ऐसे संगठन जो पत्रकारों को कलंकित कर रहे है सम्मानित व्यक्ति को सम्मान नहीं मिल पा रहा है और कलंकित लोग बाट रहे है । पत्रकारिता को व्योंपार बनाकर लाखों की वसूली करने का रास्ता है जिसमें कुछ अधिकारी भी संलिप्त है सोचने वाली बात है कल तक तो बकरा, मुर्गी, अण्डा रोड पर धर कर बेच रहे थे। चरित्रहीन भी इसके पत्रकारिता को विहिन कर दिये, चूंकि पत्रकार एक सम्मानित पद है जोकि बुद्ध जिवियों में कहलाता है पर कुछ नयी पीढ़ी के पत्रकार संगठन बना-बनाकर हाथ में माईक रख-रखकर वसूली का धंधा बना लिये है सोचने वाली बात है जन प्रतिनिधि भी ऐसे दलालों या वसूली करता के बीच में फंस जाते है और उनको सम्मान की दूहाई देते हैं । और पत्रकारिता की आड़ में अपना चरित्र भी ढकने में लगे हुये हैं । जैसे मुर्दा एक है कफन बदल-बदल कर चल रहे है, एक भी संगठनों में स्वच्छ छवी का व्यक्ति अपनी सम्मान बचाने में लगे हुये है, पर एक कहावत है शेर एक होता है शेयार अनेक होते है । संगठन बनाने का पैसा वसूलने का रास्ता है जो व्यक्ति चरित्रहीन और भ्रष्ट होगा वो किसी का चापलूसी नहीं करेगा। आज यह देखा जाये बैकुण्ठपुर से लेकर छत्तीसगढ़ तक पत्रकार के नाम पर धान खरीदी केन्दों में पैसा वसूलते देखे जा सकते हैं । ये नई पीढ़ी के पत्रकार कभी भी एक चैंनल या किसी एक समाचार पत्रों के नहीं होते, इनको मात्र दिन भर वसूलना रात में दारू पीना और आराम करना एकमात्र काम है, ये दलाल एक सम्मान का लेशन समाज को बांट रहे है। यहां तक की पत्रकारिता के नाम पर शासकीय मद से बोरिंग कराना व धौस देकर किसी शासकीय ऑफिस में अपने परिवार को नौकरी में लगवाना । सूचना के अधिकार में पैसा निकालना इनका मैंन धन्धा है । देखा जाये तो छत्तीसगढ़ में ऐसे अनेक संगठन देखे जा सकते है जबकि पत्रकारिता में उनकों लिखना-पढ़ना नहीं जानते खाली जैसे- तिज तौहार में किन्नर लोग बक्सिस लेने आते है क्योंकि उनका भी अपना झुंड होता है । ऐसे कृत्यों से आम जनता सावधान रहे, ये पत्रकार के नाम पर लोगों को शोषण करना इनका मेन काम है पूर्व में ऐसे कई मामले देखने को मिले है कि, पत्रकार गांजा बेचते हुए, शराब बेचते हुए, ब्राउन शुगर ड्रग्स को लेकर पत्रकारता को लजा रहे है पर हर जिले में आपको पत्रकारता को टोली में अलग-अलग संगठन दिखेंगे । जो पत्रकारिता में अलग-अलग संगठन बनाते है वो न्याय संगत न माने वो क्यों एक नहीं हो रहे है।

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