रायपुर। आरक्षण संशोधन विधेयक पर पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के बयान पर कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने पलटवार किया है. उन्होंने सवाल किया कि भाजपा के नेता किस हैसियत से राजभवन की तरफ से बयानबाजी कर रहे हैं. क्या राजभवन ने उन्हें अपना प्रवक्ता रखा है?
कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि सरकार और दूसरे पक्षों ने पर हाईकोर्ट में मुकदमा दर्ज किया है. हाईकोर्ट ने इस पर राज्यपाल सचिवालय को नोटिस भेजा है. इसका जवाब जब राजभवन से भेजा जाएगा, तब इसका उचित निर्णय लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर आरक्षण देने का काम सरकार का है, इसलिए सरकार ने विशेष सत्र बुलाकर आरक्षण संशोधन विधेयक को पास कराया. छत्तीसगढ़ विधानसभा से पास विधेयक को असंवैधानिक तरीके से रोक कर रखा गया है.
पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने आरक्षण विधेयक पर हाईकोर्ट की ओर से राज्यपाल सचिवालय को नोटिस जारी किए जाने पर ने कहा था कि आरक्षण देने का काम सरकार का है, न कि राज्यपाल का. इसके साथ ही उन्होंने छत्तीसगढ़ में संवैधानिक ब्रेकडाउन होने की बात कही थी.
कांकेर में हुए हादसे पर बृजमोहन अग्रवाल के बयान पर सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यजनक बात है. 15 साल से मंत्री रहा व्यक्ति मासूम बच्चों की घटना में हुई मौत पर भी राजनीति कर रहा है. यह असंवेदनहीनता की पराकाष्ठा है. बृजमोहन अग्रवाल को आत्मावलोकन करना चाहिए. क्या बोलना है उससे ज्यादा अधिक आवश्यक क्या नहीं बोलना है यह होता है.
जेपी नड्डा के दौरे को लेकर उन्होंने कहा कि यह अच्छा शुभ अवसर है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा बस्तर आ रहे हैं. पिछले 15 साल में भाजपा की सरकार थी. बस्तर के आदिवासियों के बस्तर के मूल निवासियों के मूल अधिकारों के संवैधानिक अधिकारों को बंधक बनाकर रखा गया था.
उन्होंने कहा कि बस्तर का आम आदमी नक्सलवाद और सुरक्षाबलों के 2 पाटो में पीस रहा था. उनकी हत्याएं हो रही थी, उनके संवैधानिक अधिकार नहीं मिल रहे थे. उनके जमीनों का बंदरबांट किया जा रहा था. बस्तर के आदिवासियों को छोटी-छोटी धाराओं में जेल के पीछे धकेल दिया जाता था. अब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बस्तर आ रहे हैं तो इस अवसर का लाभ उठाएं और बस्तर के लोगों के साथ किए गए व्यवहार को लेकर माफी मांगे.
बजट सत्र को लेकर बृजमोहन अग्रवाल के बयान पर सुशील आनंद ने कहा कि बजट सत्र की अधिसूचना जारी की जा चुकी है. हमारी सरकार बनने के बाद भाजपा विपक्ष में आई हैं. भाजपा चर्चा ही नहीं करना चाहती है. हर सत्र के बैठक में भाजपा ने सदन की कार्यवाही को बाधित करने की कोशिश की है. सदन की कार्यवाही में अड़ंगा डालने की कोशिश किया. सत्र को बाधा पहुंचा कर रोकने की कोशिश किया गया.
छत्तीसगढ़ में भाजपा के पास चर्चा करने के लिए कोई बिंदु नहीं है कोई तर्क नहीं है. वह चाहते हैं कि सदन की कार्यवाही बाधित हो. जितने दिन के लिए सदन बुलाया गया है आपकी क्षमता है तो उसका सदुपयोग करिए. भाजपा घोषित करे सदन की कार्यवाही को बाधित नहीं करेंगे.