रवि शर्मा
सोनहत- विकासखंड सोनहत में मनरेगा योजना कुछ लोगों के लिए वरदान बनी हुई है जहाँ एक ओर मनरेगा के कार्यों में मजदूरों को आवश्यकता अनुसार काम देकर उनके आर्थिक स्थिति को सुधारने का काम किया जाता है तो वहीं कार्यों में मटेरियल सप्लाई के लिए बाकायदा संबंधित दुकानदारों से सामग्री की खरीदी की जाती है लेकिन इसमें भी भंडार क्रय अधिनियम लागू होता है पर यहां तो खेल ही उल्टा चल रहा है आपको बता दें कि कई ऐसे लोग हैं जिनके पास न तो दुकान है और न ही सामग्री फिर भी इनके नाम पर लाखों रुपए के बिल संबंधित पंचायतों में लगते हैं और संबंधित तकनीकी सहायक कार्यक्रम अधिकारी के द्वारा उन्हें बिना किसी जांच पड़ताल के भुगतान भी किया जाता है जाहिर है जिम्मेदारों का इसमें बकायदा कमीशन शामिल होता है इसलिए बिना किसी लाग लपेट के खेल चलता रहता है और ये सिस्टम पूरे विकासखंड में प्रभावी है फिलहाल हम बात कर रहे हैं ग्रामपंचायत बंशीपुर की जहाँ सिर्फ एक वेंडर गुप्ता ट्रैक्टर के द्वारा लाखों के बिल लगाए जाते हैं काम कोई भी हो पर बिल लगता है गुप्ता ट्रेक्टर का हमारी पड़ताल के अनुसार गुप्ता ट्रैक्टर फर्म के मालिक के पास ग्राम बंशीपुर में सिर्फ़ एक किराने की दुकान तथा ट्रैक्टर ट्राली है लेकिन ग्रामपंचायत में चाहे स्टापडैम में गाद निकासी का कार्य हो चाहे तालाब गहरीकरण चाहे डबरी निर्माण हो या परकोलेशन टैंक निर्माण सभी कार्यों में बिल लगता है तो सिर्फ गुप्ता ट्रैक्टर का और बड़ी आसानी से इनके बिलों का भुगतान होता है और ये सिलसिला पिछले कई वर्षों से चालू है, वित्तीय वर्ष 2022-23 में ही इनके नाम पर लाखों के बिल लगे हैं अब यदि जाँच करे भी तो कौन क्योंकि जाँच करने वाले अधिकारियों की जेब पहले से गरम रहती है तभी तो उन्ही लोगों के द्वारा बिना जाँच के ऐसे कथित वेंडरों का बिल साइन करके एमआईएस कर दिया जाता है अब ऐसे में ये कहना बिल्कुल भी अतिश्योक्ति नहीं होगी कि मनरेगा से विकास तो हो रहा है लेकिन सिर्फ ऐसे सप्लायरों का जिम्मेदार अधिकारियों का मजदूरों की स्थिति जस की तस फिलहाल इस मामले में जिला पंचायत सीईओ को आवेदन देकर जाँच की मांग की जायेगी पर देखना होगा कि जाँच कब होगी और करवाई की बात तो खैर बहुत दूर है।